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एक वीरांगना का अनुठा देशप्रेम जिसने पति से कहा था आजाद भारत में ही दूंगी बच्चे को जन्म

कहानी है बिहार के सिवान जिले के स्वतंत्रता सेनानी शहीद फुलेना बाबू और उनकी पत्नी तारा देवी की…1942 में जब महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा की थी, उस समय सिवान के महाराजगंज में इस आंदोलन की कमान इसी दंपत्ति ने संभाली थी… आजादी मिलती और इनका प्रण पूरा होता… और इनके दांपत्य जीवन की गाड़ी आगे बढ़ती,..लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था… इनकी कहानी की शुरुआत 16 अगस्त 1942 से होती है.... इस दिन सिवान के महाराजगंज थाने पर तिरंगा फहराना था… और तिरंगा फहराने वालों की फेहरिस्त में फुलेना बाबू का नाम सबसे आगे थे…हाथों में तिंरगा थामे फुलेना बाबू बस तिरंगा फहराने वाले ही थे…तब तक अंग्रेजी हुकूमत की गोलियों ने उन्हें छलनी कर दिया और वो शहीद हो गए…जिसके बाद उनकी पत्नी ने अपने शहीद पति के शव के साथ पूरी रात अकेले बिताई, उस रात तारा देवी के सिंदूर की दमक फुलेना बाबू के चेहरे पर थी..... तारा देवी का भविष्य भले ही अंधेरे में डूब चुका था लेकिन आँखों में आजादी के सूर्योदय की चेतना अभी भी बाक़ी थी..तो ये थी क्रांतिकारी फुलेना बाबू और उनकी पत्नी तारा देवी की कहानी....अगले अंक में अगली कहनी के साथ आपसे फिर होगी मुलाकात

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