गर्मी के भीषण मौसम में जब सूर्य भगवान अपना प्रकोप दिखा रहे होते हैं. उस समय किसान समेत अन्य लोगों को आर्द्रा नक्षत्र का बेसब्री से इंतजार रहता है.
आर्द्रा नक्षत्र में मानसून अमृत वर्षा करती है, जिससे पृथ्वी पूरी तरह जल से तृप्त हो जाती है.
आर्द्रा नक्षत्र में धरती पर अमृत वर्षा होने के कारण किसानों को खेतों में धान की रोपाई में पर्याप्त बारिश का पानी मिल जाता है.
किसानों का मानना है कि अगर इस नक्षत्र में अच्छी बारिश होती है तो धान की पैदावार भी काफी अच्छी होगी, यह तय है.
बिहार के मिथलांचल क्षेत्र में आर्द्रा नक्षत्र में लोग अपने घरों में खीर, दाल की पूड़ी, सब्जी और आम विशेष रूप से खाते है.
आर्द्रा नक्षत्र को जीवनदायिनी नक्षत्र भी कहा जाता है क्योंकि धरती पर पानी की कमी से होने वाले हाहाकार को ये नक्षत्र अमृत वर्षा करके खत्म कर देता है. जिससे कृषि कार्य में काफी तेजी आती है.
आर्द्रा नक्षत्र, साल में आने वाले 27 नक्षत्रों में से एक है. ये आकाश मंडल में पाए जाने वाले कुल 27 नक्षत्रों में से छठा नक्षत्र है. संस्कृत में आर्द्रा का अर्थ नमी या गीला होता है.
आर्द्रा नक्षत को राहु का नक्षत्र कहा जाता है जो मिथुन राशि में आता है. राहु को आर्द्रा नक्षत्र का स्वामी माना जाता है. इस नक्षत्र का दशा 18 वर्ष का होता हैं.