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नींद ना आने की समस्या से ज्यादा जूझ रहीं महिलाएं, रिसर्च बता रहा चौंकाने वाला कारण!

नींद ना आना, रातभर करवटें बदलते रहना...अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं, तो हो सकता है आप अनिद्रा (insomnia) के शिकार हों. और चौंकाने वाली एक बात ताजा अध्ययन में सामने आई है.

नींद ना आने की समस्या से ज्यादा जूझ रहीं महिलाएं, रिसर्च बता रहा चौंकाने वाला कारण!
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Shivendra Singh|Updated: Apr 11, 2024, 01:36 PM IST

नींद ना आना, रातभर करवटें बदलते रहना...अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं, तो हो सकता है आप अनिद्रा (insomnia) के शिकार हों. और चौंकाने वाली बात ये है कि एक नए अध्ययन के अनुसार, महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अनिद्रा होने का 60% ज्यादा खतरा होता है. यानी नींद ना आने की समस्या महिलाओं में कहीं ज्यादा आम है.

शोधकर्ताओं की टीम हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड और साउथैम्पटन यूनिवर्सिटी से जुड़ी है. इस शोध में पाया गया कि महिलाओं की नींद की क्वालिटी पुरुषों की तुलना में काफी खराब होती है. शोधकर्ताओं के अनुसार, इसका कारण महिलाओं की आंतरिक घड़ी है, जो पुरुषों की तुलना में लगभग छह मिनट तेज चलती है. समय के साथ, यह अंतर वातावरण के साथ तालमेल बिठा नहीं पाता, जिससे दिमाग और शरीर के बीच कम्युनिकेशन में रुकावट आती है और नींद की कमी हो जाती है.

बायोलॉजिकल घड़ी का ध्यान रखना जरूरी
अध्ययन के नतीजे 'स्लीप मेडिसिन रिव्यूज' नाम की पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि मेटाबॉलिज्म से जुड़ी बीमारियां, नींद और बायोलॉजिकल रिदम से जुड़ी समस्याओं के इलाज के दौरान व्यक्ति की बायोलॉजिकल घड़ी को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है.

पीरियड्स में भी खराब होती है नींद
शोधकर्ताओं की टीम ने पिछले अध्ययनों की भी समीक्षा की, जिसमें पाया गया कि महिलाएं अक्सर अपनी नींद की क्वालिटी को खराब बताती हैं. साथ ही, मेंस्ट्रुअल साइकिल (मासिक धर्म चक्र या पीरियड्स) के बदलाव के साथ उनकी नींद की क्वालिटी में भी उतार-चढ़ाव देखा जाता है. अध्ययन में यह भी सामने आया है कि 53 प्रतिशत महिलाओं को पीरियड्स के दौरान रात में एंग्जाइटी होती है, जिस वजह से उन्हें रात में नींद टूट जाती है या दर्द या रिसाव के डर से नींद नहीं आती.

अनिद्रा का डिप्रेशन से कनेक्शन
खराब नींद की क्वालिटी का लिंक डिप्रेशन और एंग्जाइटी से भी बताया जाता है. ये दोनों ही मानसिक बीमारी महिलाओं में पुरुषों की तुलना में दोगुना ज्यादा पाए जाते हैं. हालांकि, अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि महिलाओं में ही इंसोम्निया ज्यादा क्यों होता है. शोध में पाया गया कि महिलाओं में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (RLS) होने की संभावना भी ज्यादा होती है. यह एक नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारी है, जिसमें रात के समय पैरों में रेंगने जैसा एहसास होता है और उन्हें लगातार पैर हिलाने की इच्छा होती है. यह स्थिति सोने में काफी दिक्कत पैदा करती है.

पुरुषों में ब्रीदिंग डिसऑर्डर की समस्या ज्यादा
दूसरी तरफ, शोध के मुताबिक, पुरुषों में ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया होने का खतरा महिलाओं की तुलना में तीन गुना ज्यादा होता है. ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया एक ऐसी नींद की बीमारी है, जिसमें सोते समय सांस लेने में बार-बार रुकावट आती है. शरीर में मेलाटोनिन नामक हार्मोन का लेवल और रिलीज होने की गति भी नींद को प्रभावित करती है.

अनिद्रा के कुछ सामान्य कारण
- शोर
- रोशनी
- जेट लैग
- तनाव, डिप्रेशन, एंग्जाइटी
- कमरे का तापमान बहुत गर्म या बहुत ठंडा होना
- शिफ्ट में काम करना
- शराब, निकोटीन, कैफीन
- खराब बिस्तर

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