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सऊदी अरब में खुदाई के दौरान मिले हिन्दू संस्कृति के साक्ष्य, नंदी के सिर की होती थी पूजा!

Saudi Aarabia: सऊदी अरब के शहर नजरान के एक गांव ओल ओखदूद में खुदाई के दौरान कई अहम चीजें मिली हैं, पढ़िए पूरी स्टोरी

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सऊदी अरब में खुदाई के दौरान मिले हिन्दू संस्कृति के साक्ष्य, नंदी के सिर की होती थी पूजा!
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Tahir Kamran|Updated: Feb 21, 2023, 10:22 AM IST

मक्का/रियाद: सऊदी अरब हेरिटेज कमीशन ने एक आर्कियोलॉजिकल साइट पर खुदाई के दौरान तीन बेहद दुर्लभ चीजें तलाश की हैं. सऊदी अरब हेरिटेज कमीशन ने खुदाई के दौरान तीन सोने की अंगूठियां, एक तांबे का बना हुआ बैल का सिर इसके अलावा एक शिलालेख मिला है. कमीशन को यह सभी दुर्लभ चीजें 15 फरवरी को सऊदी अरब के शहर नजरान के गांव अल ओखदूद में मिली हैं. 

इस बार में अरब न्यूज ने किंग सऊद यूनिवर्सिटी में प्राचीन इतिहास की एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर सलमा हौसावी से बात चीत की. सलमा ने ने बताया कि नजरान अरब प्रायद्वीप के दक्षिण से यात्रा करने वाले कारवाँ के लिए एक लाजमी पड़ाव था. यहां से दो व्यवसायिक रास्ते निकलते हैं, जिनमें से एक उत्तर-पूर्व की ओर, जबकि दूसरी सड़क उत्तर में पेट्रा तक पहुँचने के लिए और वहाँ से लेवंत और मेसोपोटामिया के शहर की तरफ जाता है. 

खुदाई के दौरान मिलने वाले शिलालेख पर अरबी लिपि से लिखा हुआ है. यह 230 सेंटीमीटर लंबा और लगभग 48 सेंटीमीटर ऊंचा है. जिसमें अक्षरों की लंबाई 32 सेमी है. यह शिलालेख इस इलाके में मिलने वाले सभी शिलालखों में सबसे बड़ा बताया जा रहा है.  यह शिलालेख अल-उख़दूद के पूर्व निवासी वहब एल बिन माकन का था. शिलालेश के मालिक ने अपने पिता के नाम का भी जिक्र किया है. शिलालेख से पता चलता है कि इसके मालिक का वहब एल बिन माकन का का काम लोगों के घरों में पानी पहुंचाना था. 

इसके अलावा बैल के सिर की बात करें तो उसके सींघों को एक साथ देखने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि आधा चांद हो. चांद सभी धर्मों में बड़ी अहमियत रखता है. यह पहली बार नहीं जब इस तरह की मूर्तियां मिली हों. मूर्तियाँ पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व के आसपास अरब प्रायद्वीप के दक्षिण में मिलती रही हैं.

तीन सोने की अंगूठियों के बारे में बात करते हुए, हौसावी ने कहा: “इस खोज के माध्यम से, हमें उन धातुओं के बारे में पता चला जो उस अवधि के दौरान लोगों के ज़रिए इस्तेमाल की जाती थीं. दोनों सिरों पर ताले से सुसज्जित सोने के छल्ले से पता चलता है कि उनका इस्तेमाल अलग-अलग तरीकों और जगहों पर किया गया था, साथ ही उनके आकार को जरूरत के मुताबिक छोटा-बड़ा करने का ऑप्शन भी शामिल है. "वे उंगलियों पर, बांह पर या टखनों के आसपास पहने जाते थे. अंगूठियां ना सिर्फ महिलाएं बल्कि पुरुषों के ज़रिए भी पहनी जाती थीं."

हौसावी ने बताया कि अल-ओखदूद की साइट, जहां उन्होंने हाल ही में शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों के एक समूह के साथ दौरा किया था, मिट्टी की ईंटों से बनी लगभग 20 बहुमंजिला इमारतों के साथ दीवारों के अंदर मौजूद है. साइट पर सबसे छोटी इमारत 6 मीटर ऊंची है और सबसे बड़ी 14 मीटर है.

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