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मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने भारत से मांगी माफी; इसलिए हैं शर्मिंदा

India Maldives: हाल ही में भारत और मालदीव के दरमियान रिश्ते काफी खराब हुए हैं. ऐसे में मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति ने भारत से माफी मांगी है. उनके मुताबिक बॉयकॉट से मालदीव का नुकसान होगा.

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मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने भारत से मांगी माफी; इसलिए हैं शर्मिंदा
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Siraj Mahi|Updated: Mar 09, 2024, 02:04 PM IST

India Maldives: भारत और मालदीव के दरमियान कुछ दिनों से विवाद चल रहा है. ऐसे में मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद भारत में हैं. भारत में रहते हुए नशीद ने भारत के लोगों से माफी मांगी है. उनका कहना है कि भारत की तरफ से बॉयकॉट किए जाने की वजह से मालदीव की हालत खराब हुई है. उन्होंने भारत की तरफ से हालिया बहिष्कार आह्वान के नतीजों पर चिंता जाहिर की. उन्होंने मालदीव के लोगों की ओर से माफ़ीनामा भी जारी किया.

इससे पहले मालदीव के मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने 10 मार्च तक सभी भारतीय सैन्यकर्मियों को देश से बाहर निकलने का इल्टीमेटम दिया है. इसके बाद भारत ने मालदीव का बहिष्कार किया है. इससे यहां विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ रहा है, खासकर पर्यटन पर, जो मालदीव की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण घटक है.

नशीद ने कहा है कि "इसने मालदीव पर बहुत प्रभाव डाला है, और मैं वास्तव में यहां भारत में हूं. मैं इसे लेकर बहुत चिंतित हूं. मैं कहना चाहता हूं कि मालदीव के लोगों को खेद है, हमें खेद है कि ऐसा हुआ है. हम चाहते हैं कि भारतीय लोग भी ऐसा करें." नशीद ने कहा, "मैं अपनी छुट्टियों पर मालदीव आऊंगा और हमारे आतिथ्य में कोई बदलाव नहीं होगा."

नशीद ने ऐसे मामलों से निपटने में भारत के ऐतिहासिक रूप से जिम्मेदार दृष्टिकोण को स्वीकार करते हुए कहा कि भारत ने दबाव डालने के बजाय एक राजनयिक चर्चा का प्रस्ताव रखा.

उन्होंने कहा कि "जब मालदीव के राष्ट्रपति चाहते थे कि भारतीय सैन्यकर्मी चले जाएं, तो आप जानते हैं कि भारत ने क्या किया? उन्होंने अपनी बांहें नहीं मोड़ीं. उन्होंने कोई शक्ति प्रदर्शन नहीं किया, बल्कि मालदीव की सरकार से कहा, 'ठीक है, चलो इस पर चर्चा करें'."

मालदीव और चीन के बीच हालिया रक्षा समझौते पर, श्री नशीद ने इसे रक्षा समझौता नहीं बल्कि उपकरणों की खरीद के रूप में खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि "मुझे लगता है कि मुइज्जू कुछ उपकरण खरीदना चाहते थे. मुख्य रूप से रबर की गोलियां और आंसू गैस. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने सोचा कि अधिक आंसू गैस और अधिक रबर की गोलियों की जरूरत है. शासन बंदूक की नली के जरिए से नहीं होता है."

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में कहा था कि राष्ट्रों के बीच गलतफहमियां पैदा हो सकती हैं और उन्होंने राजनयिक माध्यमों से विवाद को सुलझाने में आशावाद व्यक्त किया.

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