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Gujarat Assembly: गुजरात के मछुआरे पाकिस्तानी जेलों में क़ैद: राघवजी पटेल

Gujarati Fisherman: गुजरात सरकार ने बुधवार को असेंबली में कहा कि राज्य के 560 मछुआरे पाकिस्तान में जेलों में बंद हैं. गुजरात के मत्स्यपालन मंत्री राघवजी पटेल ने बताया कि इनमें से तक़रीबन आधे (274) मछुआरों को पाकिस्तान ने पिछले दो साल में पकड़ा है.

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सांकेतिक तस्वीर
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Sabiha Shakil|Updated: Mar 02, 2023, 07:25 AM IST

Gujarati Fisherman in Pakistani Jails: गुजरात सरकार ने बुधवार को असेंबली में कहा कि राज्य के 560 मछुआरे पाकिस्तान में जेलों में बंद हैं. गुजरात के मत्स्यपालन मंत्री राघवजी पटेल ने बताया कि इनमें से तक़रीबन आधे (274) मछुआरों को पाकिस्तान ने पिछले दो साल में पकड़ा. वह प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस एमएलए शैलेश परमार के एक सवाल का जवाब दे रहे थे. मिनिस्टर ने कहा कि 193 मछुआरों को 2021 में पकड़ा गया जबकि 81 को 2022 में पकड़ा गया. पाकिस्तान समुद्री सुरक्षा एजेंसी अरब सागर में अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (आईएमबीएल) पार करके पाकिस्तानी जल क्षेत्र में घुसने के इल्ज़ाम में गुजरात के मछुआरों को आए दिन पकड़ती रहती है.

मछुआरों के परिवार को मुआवज़ा
राघवजी पटेल ने कहा कि गुजरात सरकार ने इन मछुआरों को पाकिस्तानी जेल से रिहा कराने के लिए पिछले दो साल में गृह मंत्रालय को उनकी राष्ट्रीयता के सबूत और ज़रूरी दस्तावेज सौंपे हैं. वर्तमान में, गुजरात सरकार पकड़े गए मछुआरों के परिवार को मुआवज़े के तौर पर प्रति दिन 300 रुपये प्रदान करती है. 2021 में, जब गुजरात के 323 मछुआरे पाकिस्तानी जेलों में थे, तब राज्य सरकार ने उनके परिवारों को 4.28 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी थी. जून 2022 तक, सरकार ने 425 मछुआरों के परिवारों को 2.58 करोड़ रुपये अदा किये.

प्रोसेस में लगता है लंबा समय
राज्य सरकार ने सदन को बताया कि पाकिस्तान सरकार के ज़रिए पकड़े गए गुजराती मछुआरों और उनकी नावों की रिहाई यक़ीनी बनाने के लिए साल 2021 में केंद्रीय गृह मंत्रालय से 11 बार रस्मी तौर पर अपील की गई थी. इसी तरह साल 2022 में 10 बार अपील की जा चुकी है. वर्ष 2023 में भी गुजरात सरकार इस काम के लिए लगातार गृह मंत्रालय से अपील कर रही है. पाकिस्तानी जेलों में क़ैद कई हिन्दुस्तानी मछुआरों ने अपनी सज़ा पूरी कर ली है, लेकिन अभी तक उन्हें रिहाई नसीब नहीं हुई है. बता दें कि पाकिस्तान में मछुआरों की नेशनालिटी की पहचान, तस्दीक़ करने और कांसुलर एक्सेस प्राप्त करने के पूरे प्रोसेस में कई महीनों का समय लग जाता है.

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