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चीन और ताईवान तनाव के बीच चीन को मिला इस देश का साथ; US का है दुश्मन नंबर वन !

Tension Over Nancy Pelocy Visits in Taiwan: अमेरिकी प्रतिनिधासभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताईवान यात्रा का विरोध करते हुए नॉर्थ कोरिया ने अमेरिका पर निधाना साधा है और नैंसी पेलोसी को अंतरराष्ट्रीय शांति के लि खतरा बताया है. 

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ताइवान में नैंसी पेलोसी
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Zee Media Bureau|Updated: Aug 06, 2022, 06:56 PM IST

नई दिल्लीः अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताईवान यात्रा के बाद अमेरिका और चीन के बीच पैदा हुए तनाव ने दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात पैदा कर दिए हैं. इस मुद्दे दुनिया के देश दोनों देशों के पक्ष और विपक्ष में खड़े होते दिखाई दे रहे हैं. इस बीच चीन को नॉर्थ कोरिया का समर्थन मिल गया है.  उत्तर कोरिया ने अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी पर उत्तर कोरिया के खिलाफ भावनाओं को भड़काने का इल्जाम लगाया है. नार्थ कोरिया नैंसी पेलोसी को विश्व शांति को खतरे में डालने वाली नेता बताया है. 
गौरतलब है कि नैंसी पेलोसी ने ताइवान यात्रा के बाद साउथ कोरिया का भी दौरा किया था. चीन ने नैंसी पेलोसी के ताइवान यात्रा का तीव्र विरोध किया था और उनके के बाद चीन ने समुद्र में मिलिट्री अभ्यास का ताइवान के सीमा पर मिसाइलें दागीं थी. 

पेलोसी से नाराज हुआ उत्तर कोरिया
गौरतलब है कि चीन लंबे समय से ताइवान को अपना इलाका बताता आ रहा है और दूसरे देशों के साथ उसके संबंधों का विरोध  करता है. नैंसी पेलोसी जब दक्षिण कोरिया के दौरे पर गई थीं तब नैंसी पेलोसी ने उत्तर कोरिया के नजदीक एक सीमावर्ती इलाके का दौरा किया था. इसके अलावा साउथ कोरिया नेशनल असेंबली के सद्र किम जिन प्यो के साथ नॉर्थ कोरिया के परमाणु कार्यक्रम पर चर्चा की थी, जिसकी उत्तर कोरिया ने जमकर आलोचना की है. हालांकि इस बैठक के बाद साउथ कोरिया नेशनल असेंबली के अध्यक्ष ने कहा था कि दोनों देश कोरियाई द्वीप में परमाणु निरस्त्रीकरण और शांति बहाली के लिए मिलकर काम करेंगे. 

एक दूसरे को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी 
वहीं, इस पूरे मामले को लेकर चीन पहले ही अमेरिका को धमकी दे चुका है, कि अमेरिका ने ताईवान को लेकर चीन के साथ हुए करार को तोड़ कर उसके साथ विश्वासघात किया है. चीन ने कहा हे कि अमेरिका को इसके लिए गंभीर परिणाम भुगतने होंगे, जबकि अमेरिका ने भी चीनी विरोध को दरकिनार करते हुए कहा है कि अमेरिका दुनिया भर में लोकतंत्र की बहाली और आत्मनिर्णय के अधिकारों की रक्षा करेगा और ताइ्रवान जैसे देशों की सहायता करता रहेगा.

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