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Darul Uloom: दारुल उलूम देवबंद ने अंग्रेजी-हिंदी भाषा की पढ़ाई पर लगाया रोक, जानें क्या है पूरा सच...

Darul Uloom Deoband: अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक शिक्षा केंद्र दारुल उलूम (Darul Uloom Deoband) की तरफ से कथित तौर पर एक ऐसा फैसला लिया गया है, जो दुनिया भर में विवाद का विषय बन गया है. दारुल उलूम के नए फैसला के तहत यहां पढ़ रहे छात्र अब इस्लामिक शिक्षा के अलाव इंग्लिश और हिंदी जैसे भाषाओं का ज्ञान नहीं लेंगे. इंग्लिश या हिंदी की पढ़ाई करने वाले छात्रों को यहां से निष्कासित करने का हुक्म दिया गया है. वहीं, इस मामले का दारुल उलूम के एचओडी और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सद्र मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) ने कहा है कि 'मदरसा हमारा मजहबी तालीम का केंद्र है. इसलिए छात्रों को पहले यहां पर एक अच्छा आलिम-ए-दीन यानी धार्मिक जानकार बनाने पर जोर दिया जाएगा. उसके बाद ही उन्हें डॉक्टर, इंजीनियर, वकील या किसी अन्य प्रोफेशनल शिक्षा देने पर जोर दिया जाना चाहिए. वहीं, दारुल उलूम के इस फैसले की तमाम मुस्लिम नेताओं और उलेमा ने आलोचना की है. हालांकि इस पूरे मामले पर दारूल उलूम देवबंद के प्रवक्ता मौलाना सूफियान निजामी (Maulana Sufiyan Nizami) ने संस्थान के छात्रों को इंग्लिश या हिंदी के शिक्षा लेने पर रोक की बात को एक प्रोपगैंडा और संस्थान को बदनाम करने वाला अफवाह बताया है. उन्होंने कहा कि इस तरह की बातें दारूल उलूम के खिलाफ साजिश हैं.

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