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श्रीराम सेना ने क्यों कहा, "मांस खाकर मंदिर जाने में कुछ भी गलत नहीं ?"

कर्नाटक में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया के मांसाहारी भोजन के बाद मंदिर जाने के बयान पर जहां भाजपा उनके विरोध में उतर आई है, वहीं कुछ हिंदू संगठनों ने सिद्धारमैया का बचाव किया है. 

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श्री राम सेना के संस्थापक प्रमोद मुथालिक
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Zee Media Bureau|Updated: Aug 22, 2022, 09:40 PM IST

बेंगलुरुः कर्नाटक में सत्तारूढ़ दल भाजपा ने कोडागु के एक मंदिर में मांसाहारी भोजन करने के बाद कथित तौर पर प्रवेश करने के लिए विपक्षी कांग्रेस नेता सिद्धारमैया पर अपना हमला जारी रखा. वहीं, हिंदू कार्यकर्ताओं ने भगवा पार्टी की आलोचना करते हुए कहा कि मांस खाकर मंदिर जाने में कुछ भी गलत नहीं है. श्री राम सेना के संस्थापक प्रमोद मुथालिक ने सोमवार को कहा, “मांसाहारी खाना खाकर मंदिरों में जाने में कुछ भी गलत नहीं है. भाजपा नेताओं को ऐसे मुद्दों को उठाने के बजाय वीर सावरकर जैसे नेताओं पर चर्चा करनी चाहिए.“

मांस भगवान को प्रसाद के तौर पर भी चढ़ाया जाता है
प्रमोद मुथालिक ने कहा, “बड़ी तादाद में हिंदू मांसाहारी भोजन करते हैं. मांस भगवान को प्रसाद के तौर पर भी चढ़ाया जाता है. इसमें कुछ भी गलत नहीं है और यह चर्चा का विषय नहीं है.“भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा ने कहा कि उन्होंने देखा था कि 2017 में दशहरा उत्सव के उद्घाटन से पहले और देवी चामुंडेश्वरी को पुष्पांजलि देने के पहले सिद्धारमैया ने चिकन खाया था. इसके बाद, सिद्धारमैया को उत्सव का उद्घाटन करने का मौका नहीं मिला था.

निश्चित परंपरा का पालन किया जाता है
इस बीच, भाजपा विधायक बसवनगौड़ा पाटिल यतनाल ने सिद्धारमैया को चुनौती दी थी कि वह इस्लाम में निषिद्ध चीजें खाकर मस्जिद में प्रवेश करके दिखाए, तब हम आपकी वास्तविक ताकत को जान पाएंगे. उन्होंने कहा है कि हर मंदिर के लिए एक निश्चित परंपरा का पालन किया जाता है. कुछ जगहों पर, कोई मांसाहारी खाना खाकर नहीं जा सकता है. यहां तक कि कुछ जगहों पर मंदिरों में प्रवेश करने से पहले बनियान और शर्ट आदि के उतारने की भी परंपरा है. सिद्धारमैया हों या कोई भी शख्स, किसी को भी धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए.

मांस खाकर मंदिर जाने पर कोई भी इसके लिए राजी नहीं होगा
इसी तरह, बी.वाई. भाजपा उपाध्यक्ष विजयेंद्र ने कहा कि सभी को वेज और नॉन वेज खाना खाने की आजादी है. उन्होंने कहा कि लेकिन, अगर कोई मांस खाकर मंदिर जाना चाहता है तो कोई भी इसके लिए राजी नहीं होगा और न इसकी इजाजत देगा. विजयेंद्र ने कहा कि राज्य में धर्म की विरासत है और बड़ी तादाद में भक्त भी हैं, इसलिए शीर्ष पदों पर रहने वाले लोगों को इस संबंध में सार्वजनिक बयान देते वक्त सावधान रहना चाहिए.
 

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