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एक साथ चुनाव कराना फायदेमंद या नुकसानदेह; विपक्ष समेत ये लोग करेंगे पड़ताल

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में सरकार ने आठ सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो देश में एक साथ लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव कराने की संभावनाओं पर विचार कर सरकार को अपनी सिफारिश सौंपेगी. 

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गृहमंत्री अमित शाह,राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद और लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी
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Hussain Tabish|Updated: Sep 02, 2023, 08:19 PM IST

नई दिल्लीः सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने की संभावनाओं की तलाश करने और जल्द से जल्द इसपर अपनी सिफारिश देने के लिए शनिवार को एक आठ सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है. समिति तुरंत काम शुरू कर देगी और जल्द से जल्द अपनी सिफारिश सरकार के सामने पेश करेगी. समिति की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे और इसमें गृहमंत्री अमित शाह, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद और वित्त आयोग के पूर्व सद्र एन के सिंह को सदस्य बनाया गया है. 

समिति में पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी को भी मेंबर बनाया गया है. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर समिति की बैठकों में हिस्सा लेंगे, वहीं कानूनी मामलों के सचिव नितेन चंद्रा समिति के सचिव होंगे. समिति संविधान, जन प्रतिनिधित्व कानून और किसी भी दूसरे कानून और नियमों की पड़ताल करेगी और उन विशिष्ट संशोधनों की सिफारिश करेगी, जिसकी एक साथ चुनाव कराने की जरूरत होगी. समिति यह भी पड़ताल करेगी और सिफारिश करेगी कि क्या संविधान में संशोधन के लिए राज्यों द्वारा अनुमोदन की जरूरत होगी?

समिति एकसाथ चुनाव कराने की स्थिति में खंडित जनादेश, अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार करने या दलबदल या ऐसी किसी अन्य घटना जैसे हालात पैदा होने का भी अध्ययन करेगी और संभावित समाधान भी सुझाएगी. समिति उन सभी व्यक्तियों, अभ्यावेदनों और संवाद को सुनेगी और उन पर विचार करेगी जो उसकी राय में उसके काम को सुविधाजनक बना सकते हैं और उसे अपनी सिफारिशों को आखिरी शक्ल देने में सक्षम बना सकते हैं.

संविधान में कम से कम पांच संशोधन की आवश्यकता 
लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए कम से कम पांच संवैधानिक संशोधन और बड़ी संख्या में अतिरिक्त ईवीएम और कागज की आवश्यकता होगी.संसद के सदनों की अवधि से संबंधित अनुच्छेद 83, राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा को भंग करने से संबंधित अनुच्छेद 85, राज्य की अवधि से संबंधित अनुच्छेद 172. विधानमंडल, राज्य विधानमंडलों के विघटन से संबंधित अनुच्छेद 174, और राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने से संबंधित अनुच्छेद 356 में संशोधन करना होगा. इसके अलावा इसमें भारत की शासन प्रणाली के संघीय ढांचे को ध्यान में रखते हुए सभी राजनीतिक दलों की आम सहमति भी आवश्यक है. इसके अलावा, यह जरूरी है कि सभी राज्य सरकारों की सहमति हासिल की जाए.

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