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Female feticide and Islam: कन्या भ्रूण-हत्या पर क्या कहता है इस्लाम? पढ़ें

Islam on Female feticide: कन्या भ्रूण हत्या एक सामाजिक अभिशाप होने के साथ-साथ कानूनी अपराध भी है. जेंडर की जांच कराने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होती है. लेकिन इस मसले में इस्लाम क्या कहता है. तो चलिए जानते हैं.

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Female feticide and Islam: कन्या भ्रूण-हत्या पर क्या कहता है इस्लाम? पढ़ें
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Sami Siddiqui |Updated: Feb 03, 2023, 04:46 PM IST

Islam on Female feticide: हम 21वीं सदी में जी रहे हैं, आज महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर चल रही हैं. लेकिन आज भी जेंडर देखकर गर्भपात के मामले सामने आते रहते हैं. इसके अलावा बहुत से घरों में लड़की का पैदा होना आज भी खराब माना जाता है. लेकिन इस्लाम में लड़कियों का एक अलग दर्जा बताया गया है. जब अल्लाह के आखिरी पैगंबर मोहम्मद साहब दुनिया में आए, उस समय भी लड़कियों को बोझ समझा जाता था. परिवार को डर रहता था कि लड़की का रिश्ता नहीं हुआ तो दूसरे कबीले में शादी करनी होगी. अगर लुटेरे आक्रमण करेंगे तो वह उन्हें पकड़ कर ले जाएंगे. इसी डर से लोग लड़की पैदा होते ही उन्हें मार दिया करते थे.

इस्लाम से पहले इन तरीकों से बच्चियों का किया जाता था कत्ल

इस्लाम के आने से पहले लड़की के पैदा होने पर अलग-अलग कुप्रथाओं के जरिए उनका कत्ल किया जाता था. लड़की के पैदा होते ही उसे जिंदा गड्ढे में दबा दिया जाता. कई जगहों पर बच्चियों के टुकड़े कर कुत्तों को खिला दिए जाते थे. इसके अलावा कई और तरीकों से भी बेटियों से छुटकारा पाया जाता था. जैसे पहाड़ की चोटी से फेंकना, पानी में डुबो देना, गला रेत देना आदि. कुछ जगहों पर लड़की के बड़े होने का इंतेजार किया जाता और फिर उसे सजा-धजा कर रेगिस्तान ले जाया जाता और एक गड्ढा खोदकर उसमें दफ्न कर दिया जाता था. 

इस्लाम में भ्रूण हत्या!

इस्लाम में भ्रूण हत्या को पाप (गुनाह) माना गया है. इस गलत काम के लिए अलग-अलग कुरान की आयतें नाजिल की गई हैं. कुरान कहता है गरीबी होने की वजह से तुम अपनी संतान की हत्या मत करो, हम तुम्हें भी रोज़ी देते हैं और उन्हें भी, वास्तव में उनकी हत्या एक बहुत बड़ा गुनाह है.' लड़कियों की हत्या करने वालों को इस्लाम में उन लोगों शामिल किया गया है जिनसे आखिरत (परलोक) में पूछताछ होगी. इस्लाम में लड़कियों की हत्या हराम कामों में शुमार की गई है.

मोहम्मद साहब ने लड़कियों की हत्या पर क्या कहा?

मोहम्मद साहब जब अनुयायियों से प्रतिज्ञा लेते थे तो कई बातों का वादा कराया करते थे. जिनमें से एक बात ये भी थी कि वह अपनी संतान की हत्या नहीं करेंगे. इस्लाम इस बात को नहीं मानता है कि लड़कियों का होना आदमियों के लिए मुसीबत या परेशानी का कारण है.

खुदा ने लड़कियों को बताया जन्नत का जरिया

खुदा ने उस शख्स पर जन्नत फर्ज किया है जो अपनी बेटी या बहन को पढ़ाए, लिखाए उसके साथ अच्छा व्यव्हार करे.  मुहम्मद (स.व) कहते हैं 'जिस शख्स को लड़कियां हों, वह जब तक उसके पास रहें, वह उनके साथ अच्छा व्यव्हार करता रहे, तो वह उसके जन्नत का जरिए बनेंगी'. हजरत उकबा बिन आमिर कहते हैं कि अल्लाह के रसूल ने फरमाया- 'जिस शख्स को तीन लड़कियां हों, वह सब्र करे और अपनी हैसियत के हिसाब से उनको खिलाए, पिलाए, पहनाए. कयामत के दिन नरक से बचाने के लिए वह लडकियां उसके लिए ओट बन जाएंगी.'

हजरत इबने अब्बास बताते हैं कि अल्लाह के रसूल  मोहम्मद (स.व) फरमाते हैं कि जिस शख्स ने अपनी तीन बेटियों-बहनों  का लालन-पालन किया, उन्हें अदब सिखाया, उनके साथ हमदर्दी रखी, उसके लिए खुदा ने जन्नत जरूरी कर दी है'. इस बयान को सुनकर एक शख्स ने पूछा कि ऐ अल्लाह के रसूल अगर किसी को दो बेटियां या दो बहनें हो और वह उने साथ ऐसा व्यव्हार करे? जिसपर खुदा के रसूल ने फरमाया उसके लिए भी यही बदला है.

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