What is Sadqa Fitr and Zakaat: रमजान का पवित्र महीना चल रहा है, इस महीने में सभी मुसलमान रोज़े रखते हैं और ज्यादा से ज्यादा अल्लाह की इबादत करते हैं. इसके अलावा इस महीने में लोग फितरा, जकात और सदका भी अदा करते हैं. इस खबर में आज हम आपको यही बताएंगे कि आखिर फितरा, सदका और ज़कात क्या होते है और ये किस तरह अदा किए जाते हैं. तो चलिए जानते हैं.
सदका एक तरह का दान है. शरीयत के मुताबिक अल्लाह की रज़ा की खातिर अपनी परेशानियों और बुराइयों को टालने के लिए या फिर अपने पास मौजूद किसी खास चीज के शुक्राने के तौर पर कोई चीज किसी जरूरतमंद को दे देना सदका कहलाता है. इसमें जरूरी नहीं है कि आप किसी को पैसा ही दें. बल्कि जरूरतमंद की जरूरत के मुताबिक भी जरूरत का सामान दे सकते हैं. इसमें खाना, आटा, चावल कपड़ा जैसी जरूरी चीजें भी शामिल हैं.
सदक़ा-ए-फ़ित्र हर उस शख्स को अदा करना होता है जो हर तरह की खर्चों के बाद साढ़े तोला चांदी की मालियत का मालिक हो. इसमें शख्स को अपने बच्चों से लेकर परिवार के सभी लोगों के नाम से जरूरतमंदों को फितरा दिया जाता है. एक सदका-ए-फित्र की मात्रा 1.633 प्रति किलोग्राम है गेहूं के आटे के बराबर होता है. फितरे की रकम भी गरीबों, बेवाओं व यतीमों और सभी जरूरतमंदों को दी जाती है.अल्लाह ताला ने ईद का त्योहार गरीब और अमीर सभी के लिए बनाया है. गरीबी की वजह से लोगों की खुशी में कमी ना आए इसलिए अल्लाह ताला ने हर संपन्न मुसलमान पर जकात और फितरा देना फर्ज कर दिया है.
ज़कात की बात करें तो सदका और सदका-ए-फित्र की तरह नहीं है यह इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक है. ये हर मुसलमान पर फर्ज़ नहीं होता है. सिर्फ खुशहाल और संम्पन्न परिवारों को ही यह अदा करना होती है. ज़कात एक माली जिम्मेदारी है है जो कुछ शर्तों के तहत लाजमी है. इसकी पहली शर्त यह है कि यह उसी शख्स को देनी होती है जिसके पास 7.5 तोला सोना या साढ़े 52 तोला चांदी या इतनी चांदी कीमत के बराबर नकदी/जेवर मौजूद हो. अगर इस कीमत या इससे ज्यादा कीमत पर साल गुजर जाए तो उस पूरे माल का 2.5 फीसद हिस्सा गरीबों, जरूरतमंदों को देना जरूरी होता है.
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