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गोकशी के शक में भीड़ ने मुस्लिम व्यक्ति की पीट-पीटकर की थी हत्या, अब कोर्ट ने 10 आरोपियों को सुनाई उम्र कैद की सजा

Hapur Lynching Case:  मदापुर के रहने वाले कासिम और उसके साथ समयुद्दीन किसी काम को लेकर बाइक से बझेड़ा खुर्द गांव होते हुए धौलाना जा रहे थे. तभी बझेड़ा गांव के उनकी बाइक की किसी दूसरे बाइक से टक्कर हो गई, जिसके बाद भीड़ उग्र हो गई और दोनों बाइक सवार की खूब पिटाई की, जिसमें कासिम की मौत हो गई. 

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 गोकशी के शक में भीड़ ने मुस्लिम व्यक्ति की पीट-पीटकर की थी हत्या, अब कोर्ट ने 10 आरोपियों को सुनाई उम्र कैद की सजा
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Md Amjad Shoab|Updated: Mar 12, 2024, 11:19 PM IST

Hapur Lynching Case: उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में 18 जून 2018 को गोकशी के शक में एक व्यक्ति की भीड़ ने पीट पीटकर हत्या कर दी थी. अब कोर्ट ने इस मामले में करीब 6 साल बाद फैसला सुनाया है. जिले की एक कोर्ट ने मंगलवार को मॉब लिचिंग मामले में दस लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. पुलिस ने इस मामले में दस मु्ल्जिमों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. उस वक्त से मामला एडिशनल सेशन जज के कोर्ट में विचाराधीन था. मंगलवार को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एण्ड सेशन जज श्‍वेता दीक्षित की बेंच ने सभी दस मुल्जिमों को दोषी करार देते हुए उन्‍हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इसके अलावा कोर्ट ने सभी मुजरिमों पर 59-59 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.

दरअसल, मदापुर के रहने वाले कासिम और उसके साथ समयुद्दीन किसी काम को लेकर बाइक से बझेड़ा खुर्द गांव होते हुए धौलाना जा रहे थे. तभी बझेड़ा गांव के उनकी बाइक की किसी दूसरे बाइक से टक्कर हो गई, जिसके बाद भीड़ उग्र हो गई और दोनों बाइक सवार की खूब पिटाई की, जिसमें 50 साल के कासिम की मौत हो गई.  जबकि, उसके साथ बाइक पर सवार एक लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गया था. 
इन दोषियों को हुई सजा

स्पेशल प्रॉसिक्यूटर विजय कुमार चौहान ने बताया कि प्रॉसिक्यूशन पार्टी की तरफ से 23 गवाह और साक्ष्य कोर्ट में पेश किए. दोनों पार्टियों को सुनने के बाद जस्टिस श्‍वेता दीक्षित ने मंगलवार को फैसला सुनाया. उन्होंने मुल्जिम युधिष्ठिर, राकेश, कानू उर्फ कप्तान, सोनू, मांगेराम, रिंकू, हरिओम, मनीष, ललित और करनपाल को मामले में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई.

क्या है पूरा मामला?
स्पेशल प्रॉसिक्यूटर(पॉक्सो) चौहान ने बताया कि मामले का एक आरोपी घटना के वक्त नाबालिग था. जिसके चलते उसकी पत्रावली सुनवाई के लिए किशोर न्याय बोर्ड को भेज दी गई थी. वादी के वकील विरेंद्र ग्रोवर ने बताया कि पिलखुवा थाना पुलिस ने 18 जून 2018 को अज्ञात लोगों के खिलाफ एक केस दर्ज किया था. 

मौके पर पहुंचे लोगों ने दोनों की जमकर पिटाई कर दी.  सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों लोगों जख्मी हालत में ह़ॉस्पीटल में भर्ती कराया, जहां पर डॉक्टरों ने कासिम को मृत घोषित कर दिया .

कोर्ट ने पुलिस को दिया था ये हुक्म
पुलिस की दर्ज रिपोर्ट का पीड़ित पक्ष ने विरोध किया और मामले की निष्पक्ष जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई. उन्होंने कोर्ट में कहा था कि गोकशी की अफवाह को लेकर समयुद्दीन और कासिम की कुछ लोगों ने जमकर पिटाई की थी, जिसके चलते ही कासिम की मौत हो गई और समयुद्दीन घायल हो गया था. इसके सुप्रीम कोर्ट ने डीआईजी मेरठ को मामले की निष्पक्ष जांच के हुक्म दिए थे. जांच के बाद पुलिस ने 11 मुल्जिमों के खिलाफ अलग-अलग धाराओं में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी.

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