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कन्हैया लाल के कातिलों के लिए दरगाह आला हजरत से फतवा जारी, मुसलमानों से भी की गई अपील

Dargah Ala Hazrat Fatwa: तंज़ीम उलमा ए इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि कानून को मुसलमान अपने हाथ मे न ले, हुकूमत से शिक़ायत करें , सजा देने क काम हुकूमत का है.

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कन्हैया लाल के कातिलों के लिए दरगाह आला हजरत से फतवा जारी, मुसलमानों से भी की गई अपील
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Ahmar Hussain|Updated: Jul 07, 2022, 03:14 PM IST

लखनऊ: राजिस्थान के शहर उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या पर दरगाह आला हजरत से जुड़ा संगठन तंज़ीम उलमा ए इस्लाम सख्त रुख अपनाया है. इस सिलसिले में आज तंज़ीम उलमा ए इस्लाम ने बैठक की और इस घटना के तमाम पैहलूओ को शरीयत की रौशनी में जांचने व परखने की कोशिश की, चूंकि ये घटना इस्लाम मज़हब के नाम पर की गई है, इसलिए इस्लाम के रहनूमाओं को आगे आकर शरियत की बताई हुई शिक्षा को सही अंदाज में जनता के सामने पेश करने की जरूरत थी. तंज़ीम उलमा ए इस्लाम ने र्सव सम्मती से फरमान जारी करके इस घटना को अंजाम देने वाले दोनों मुस्लिम कातिलों को मुज्रिम करार दिया. 

तंज़ीम उलमा ए इस्लाम की तरफ से जारी फरमान को आज तंज़ीम के राष्ट्र महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने प्रेस को जारी की, मौलाना ने बताया कि आला हजरत ने अपनी किताब "हूस्सामुल हरमैन" में इस तरह की घटनाओं के बारे मे फतवा दिया है, कि इस्लामी हुकूमत या गैर इस्लामी हुकूमत में अगर कोई व्यक्ति बादशाह की इजाजत के बगैर किसी गुस्ताखे नबी को क़त्ल करता है तो उसका गाज़ी होना दर किनार बल्कि ऐसा व्यक्ति शरीयत की नजर में मूजरिम होगा और बादशहे इस्लाम उसे सख़्त सजा देगा". फिर आला हजरत आगे फतवे में लिखते हैं कि "जब इस्लामी हुकूमत में ये आदेश है तो जहां इस्लामी हुकूमत नहीं है वहां तो पहले दर्जे में ही नाजाइज होगा, और गुस्ताखे नबी को क़त्ल करने की वजह से अपनी जान को हलाकत और मूसीबत में डालना होगा.' कूरान शरीफ में खुदा ने फ़रमाया है कि"अपने हाथों अपने आपको हलाकत में मत डालो..'

मौलाना शहाबुद्दीन के मुताबिक, आला हजरत ने आम मुसलमानों को आदेश देते हुए फतवे में कहा कि "शरियत की रौशनी मे सिर्फ ऐसे गुस्ताख़ का जुबान से निंदा करना और आम लोगों को उससे मेल जोल रखने से रोकना और हुकूमत के जिम्मेदारान तक शिकायत पहुंचाना काफी है ताकि उस व्यक्ति पर मुकदमा कायम हो सके, अपने आप से खूद कानून को हाथ मे लेकर किसी आम व्यक्ति को सज़ा देना जाइज नहीं है.'

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने बताया की किसी गुस्ताखे नबी को हुकूमत की इजाजत के बगैर किसी आम आदमी को सजा देना, य क़त्ल करना, य सर तन से जुदा करना आला हजरत के फतवे की रौशनी मे ऐसा शख्स सजा के लाईक और मुजरिम है.

मौलाना ने ख़ास तौर पर हिन्दूसतान के मुसलमानों से कहा कि पिछले कुछ सालों से पाकिस्तानी के लोगों ने ये नारा लगाना शुरू किया "गुस्ताखे नबी की है ये सजा सर तन से जुदा सर तन से जुदा" ये नारा सोशल मीडिया के माध्यम से हिन्दूस्तान मे परमोड हुआ, पाकिस्तान में नौ घाठित तहरीके लब्बैक संगठन ने अपने राजनीतिक आशाओं को पूरा करने के लिए ये नारा लगाना शुरू किया जिसका उन्हें पाकिस्तान मे लाभ भी मिला. हिन्दूस्तान एक जम्हूरि देश है यहां पर इस तरह के नारे लगाना जाइज नहीं है. कानून को मुसलमान अपने हाथ मे न ले, हुकूमत से शिक़ायत करें , सजा देने क काम हुकूमत का है.

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