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बोगी में होती है सिर्फ 80 सीटें, रेलवे ने तत्काल यात्री को दी 81 और 82 नंबर की सीट

Railway gave 81 and 82 numbers seats to passengers of Tatkal journey: एक यात्री को अपने पिता का इलाज कराने के लिए कोलकाता से चेन्नई जाना था, लेकिल जब वह टिकट लेकर ट्रेन में पहुंचा तो उसकी बौगी में 81 और 82 नंबर की सीट ही नहीं थी.   

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Hussain Tabish|Updated: Jan 10, 2023, 03:41 PM IST

नई दिल्लीः यात्री ट्रेन के एक कंपार्टमेंट में 80 सींटें होती है, लेकिन रेलवे की लापरवाही का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें एक यात्री को टिकट बुक कराते वक्त रेलवे ने 81 और 82 नंबर की सीट अलॉट कर दी. यात्रा की तारीख पर जब यात्री ट्रेन में पहुंचा तो उसे सीट ही नहीं मिली और फिर खड़े-खड़े यात्रा पूरी करनी पड़ी. इस मामले में यात्री ने जब ट्रेन के टीटीई से शिकायत की तो उसने इससे पल्ला झाड़ लिया. रेलवे की इस लापरवाही ने बडे़ सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर इन गलतियों के लिए जिम्मेदार कौन होगा ? 

यात्री ने तत्काल में बुक की थी टिकट 
गौरतलब है कि 7 जनवरी को सुमन पाल नामक एक यात्री ने वेस्ट बंगाल से आद्रा स्टेशन चेन्नई तक की यात्रा के लिए न्यू जलपाईगुड़ी-मद्रास एक्सप्रेस में तत्काल टिकट बुक कराई थी. उनकी सीट भी कंफर्म हो गई थी. उन्हें एसी कोच में बौगी नंबर एम-3 में सीट नंबर 81 और 82 आवंटित किए गए थे. लेकिन जब यात्रा के दिन सुमन पाल अपने बीमार पिता को लेकर ट्रेन में पहुंचे तो उन्हें पता चला कि उस ट्रेन की एम-3 कोच में सिर्फ 80 नंबर तक ही सीट की व्यवस्था है. यानी ट्रेन में 81 और 82 नंबर की कोई सीट  ही नहीं थी. लेकिन रेलवे ने उस सीट के लिए यात्री से पांच हजार रुपए वसूल लिए, जो सीट ट्रेन में है ही नहीं. 

ट्रेन में मोजूद टीटीई ने झाड़ा पल्ला 
इस मामले में जब दोनों यात्रियों ने उस ट्रेन में मौजूद टीटीई को इसकी जानकारी दी तो उन्होंने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि ये रेलवे प्रशासन की गलती है. इस मामले में वह कुछ नहीं कर सकते हैं. इसके बाद उन दोनों यात्रियों ने परेशान होकर रेलवे प्रशासन से ट्वीट कर मदद मांगी. अपने ट्वीट में यात्री ने बताया है कि वे इलाज के लिए अपने बुजुर्ग पिता को चेन्नई ले जा रहे थे लेकिन रेलवे की इस गलती की वजह से उन्हें सीट नहीं मिल सकी. यात्री ने बताया कि उनके पिता लंबे वक्त तक खड़े या बैठ नहीं सकते थे, लेकिन सीट न मिलने के कारण उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ा. 

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