Bihar Reservation: बिहार सरकार को पटना हाईकोर्ट से करारा झटका लगा है. कोर्ट ने सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों के दाखिले में जाति आधारित आरक्षण बढ़ाने के फैसले को रद्द कर दिया है. इस मामले पर अब राजनीति तेज हो गई है. राजद नेता व पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधा है.
राजद नेता ने पटना हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार के आरक्षण में 65 फीसदी की बढ़ोतरी को रद्द करने के बाद सीएम नीतीश कुमार से सवाल किया और कहा हमें पहले से ही शक था कि बीजेपी आरक्षण को रोकने की कोशिश करेगी.
उन्होंने कहा, "हम आहत हैं और हमें पहले से ही यह संदेह था कि BJP आरक्षण को रोकने की कोशिश करेगी. हमने चुनाव के दौरान पहले ही कहा था कि बीजेपी वाले आरक्षण के खिलाफ हैं. आपको पता ही होगा कि जब हमने जाति आधारित सर्वे कराया तो बीजेपी के लोगों ने इसे रोकने के लिए जनहित याचिका दायर की, लेकिन आखिर में हमारी जीत हुई. मुझे समझ नहीं आता कि सीएम इस पर चुप क्यों है?"
पिछले साल नवंबर में राज्य सरकार द्वारा लाए गए कानूनों की संवैधानिक वैधता को यूथ फॉर इक्वालिटी नाम के संगठन ने चुनौती दी थी. इस रीट याचिकाओं पर चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन की अगुआई वाली बेंच ने ये आदेश पारित किया.
बिहार सरकार ने पिछले साल नवंबर में महीने में ही दो कोटा बिलों के लिए गजट अधिसूचना जारी की थी. इसमें बिहार पदों और सेवाओं में रिक्तियों का आरक्षण (एससी, एसटी, ईबीसी और ओबीसी के लिए) संशोधन विधेयक और बिहार (शैक्षणिक, संस्थानों में प्रवेश में) आरक्षण संशोधन विधेयक, 2023, कोटा को मौजूदा 50% से बढ़ाकर 65% करना शामिल था. बता दें कि उस समय नीतीश कुमार की जनता दल-यूनाइटेड महागठबंधन का हिस्सा थी, जिसमें राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस पार्टी भी शामिल थी.
'क्या बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी?': कांग्रेस
वहीं, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी हाई कोर्ट पटना के आदेश पर बिहार सरकार पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, "पटना हाई कोर्ट ने पिछले साल बिहार विधानसभा द्वारा पारित एक अधिनियम को रद्द कर दिया है जिसमें राज्य सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए 65% आरक्षण प्रदान किया गया था. हाई कोर्ट ने माना कि इसने सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 50% की सीमा का उल्लंघन किया है,''