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बारामती सीट से चुनावी मैदान में होंगी सुप्रिया सुले, शरद पवार ने किया ऐलान

 Lok Sabha Elections 2024: पुणे में महाविकास अघाड़ी और उसके सहयोगी दलों की एक रैली आयोजित हुई थी, जिसमें यूबीटी नेता संजय राउत भी मौजूद थे. इसी रैली में शरद पवार ने सुप्रिया को बारामती से चुनाव लड़ने की घोषणा की.  

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बारामती सीट से चुनावी मैदान में होंगी सुप्रिया सुले, शरद पवार ने किया ऐलान
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Md Amjad Shoab|Updated: Mar 09, 2024, 11:52 PM IST

Baramati Lok Sabha Election 2024: आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी पार्टियां तैयरियों में जुट गई हैं. बीजेपी ने  195 और कांग्रेस 39 कैंडिडेट्स के नामों का ऐलान कर दिया है. अब महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस शरदचंद्र पवार पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने बारामती सीट से बेटी  सुप्रिया सुले को उम्मीदवार बनाया है. पवार परिवार का गढ़ कहे जाने वाले इस सीट से सुप्रिया सुले साल 2009 से लगातार जीतकर संसद पहुंच रही हैं. दरअसल, शनिवार (9 मार्च) को पुणे में महाविकास अघाड़ी के साथ दूसरे सहयोगी दलों की एक रैली आयोजित की गई थी, जिसमें यूबीटी नेता संजय राउत भी मौजूद थे. इसी रैली में शरद पवार ने सुप्रिया को बारामती से चुनाव लड़ने की घोषणा की.

ननद-भाभी की होगी टक्कर !
इस संसदीय इलाके से सुप्रिया सुले के मैदान में उतरने से ये हॉट सीट बन गई. दरअसल,  सियासी गलियारों में अटकलें लगाईं जा रही है कि इस सीट से महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजीत पवार की पत्नी और सुप्रिया सुले की भाभी सुनेत्रा पवार चुनाव लड़ सकती हैं. ऐसे में ये सीट दोनों के लिए नाक बन गई है. अब देखना दिलचस्प होगा कि ये सीट एनसीपी कोटे में आती है या नहीं. अगर ये सीट NCP के पक्ष में आती है तो महाराष्ट्रा में 50 साल के इतिहास में ये पहली बार होगा कि पवार परिवार चुनावी मैदान में आमने-सामने है. हालांकि, एनडीए में अभी सीट शेयरिंग नहीं हुई है.  

पवार परिवार के पास 1984 से है ये सीट
शरद पवार की नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में उस वक्त दरार पड़ गई थी जब पिछले साल अजित पवार अपने चाचा का साथ छोड़कर महाराष्ट्रा में एकनाथ शिंदे की अगुआई वाली सरकार में शामिल हो गए. पार्टी में दो भागों में बंट गई, लेकिन चुनाव आयोग ने अजित पवार को ही पार्टी के नाम और सिंबल पर हक दिया. ऐसे में शरद पवार की गुट को चुनाव आयोग ने "तुरही बजाते हुए आदमी" का सिंबल दिया. बारामती सीट से शरद परिवार ने साल 1984 में पहली बार चुनाव जीता था. इसके बाद वह इस संसदीय सीट से साल 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 तक सांसद रहे. 

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