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जामा मस्जिद में औरतों की एंट्री पर बवाल; शाही इमाम ने कही ये बात

Delhi Jama Masjid: जामा मस्जिद में औरतों की एंट्री बैन के मामले को लेकर अब शाही इमाम का बयान आया है. उनका कहना है कि कुछ घटनाओं को देखते हुए यह फैसला लिया गया है. पढ़ें पूरी खबर

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जामा मस्जिद में औरतों की एंट्री पर बवाल; शाही इमाम ने कही ये बात
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Sami Siddiqui |Updated: Nov 24, 2022, 05:39 PM IST

Delhi Jama Masjid: दिल्ली की जामा मस्जिद में महिलाओं की एंट्री को बैन कर दिया गया है. इस मामले को लेकर अब मस्जिद के शाही इमाम का बयान आया है. उन्होंने कहा है यह आदेश नमाज़ पढ़ने वाली लड़कियों के लिए नहीं है. आपको बता दें मस्जिद कमेटी के इस फैसले के बाद काफी आलोचना हो रही है. मस्जिद के बाहर कुछ दिनों पहले नोटिस लगाया गया था. जिस पर लिखा था "जामा मस्जिद में लड़की या लड़कियों का अकेले दाखिला मना है." इस मामले को लेकर दिल्ली महिला कमीशन की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने इस फैसले को गलत करार दिया है.

जामा मस्जिद के शाही इमाम ने क्या कहा?

दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी का कहना है कि मस्जिद में कुछ घटनाएं सामने आने के बाद यह फैसला लिया गया है. उन्होंने पीटीआई भाषा से बातचीत करते हुए कहा कि जामा मस्जिद इबादत की जगह है. यहां हर किसी का स्वागत है. लेकिन लड़कियां अकेले आ रही हैं और अपने दोस्तों काा इंतेजार कर रही हैं तो यह जगह इस काम के लिए नहीं है.

शाही इमाम ने कहा कि आज ही 20-25 लड़कियां आईं और उन्हें दाखिल नहीं होने दिया गया. पहले भी मस्जिद में म्यूजिक वीडियो की शूटिंग पर रोक लगाई गई थी. इसके लिए बाहर बोर्ड भी लगाया गया था. जामा मस्जिद के ज़राए (सूत्रों) ने बताया है कि गलत व्यव्हार करने वालों को रोका जा रहा है सभी औरतों पर रोक नहीं लगाई जा रही है.

स्वाति मालीवाल ने कही ये बात

इस मामले को लेकर दिल्ली महिला कमीशन की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल का कहना है- जामा मस्जिद में औरतों की एंट्री रोकने का फ़ैसला बिलकुल ग़लत है. जितना हक एक मर्द को इबादत का है उतना ही एक औरत को भी है. मैं जामा मस्जिद के इमाम को नोटिस जारी कर रही हूं. इस तरह महिलाओं की एंट्री बैन करने का किसी को हक नहीं है.

इससे पहले भी उठ चुका है मुद्दा

मज़हबी मकामात पर औरतों की एंट्री पर पहले भी मुद्दा उठ चुका है. सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्यों की टीम ने 2018 में 4:1 के बहुमत से सभी लड़कियों और औरतों को सबरिमाला मस्जिद में दाखिल होने की इजाजत दी थी. लेकिन जब राज्य सरकार ने इस फैसले को लागू करने की कोशिश की तो इसका विरोध हुआ, और लोगों ने इस फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए याचिकाएं भी दायर की गईं थी.

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