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BCCI में सौरभ गांगुली और जय शाह के अगले टर्म के लिए पद पर बने रहने का रास्ता साफ

सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई (BCCI) में ’लगातार दो कार्यकाल के बाद कूलिंग-ऑफ अवधि’ (Cooling off period) में ढील देने की बोर्ड के संविधान में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.  

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सौरभ गांगुली और जय शाह
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Zee Media Bureau|Updated: Sep 14, 2022, 06:30 PM IST

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट (Supreme court)) ने बुधवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की तरफ से दायर की गई संशोधन याचिका को स्वीकार कर उसपर अपनी मुहर लगा दी है. इस याचिका में बोर्ड ने अपने कूलिंग ऑफ अवधि (Cooling off period) में ढील देने के लिए अपने संविधान में प्रस्तावित संशोधन की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य क्रिकेट संघों और बीसीसीआई के पदाधिकारियों के कार्यकाल के बीच अनिवार्य कूलिंग-ऑफ अवधि को हटा दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब सौरभ गांगुली (Saurabh Ganguly) और जय शाह ( Jai Shah) भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष और सचिव बने रहने का रास्ता साफ हो गया है. 

12 साल तक लगातार अपने पद पर बने रह सकते हैं पदाधिकारी 
बीसीसीआई ने अपने अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह सहित अपने पदाधिकारियों के कार्यकाल के संबंध में अपने संविधान में संशोधन करने की मांग की थी. पदाधिकारियों के पास अब एक बार में अधिकतम 12 साल तक एक पद पर बने रहने का अवसर मिल सकता है, राज्य संघ के स्तर पर दो बार तीन साल के कार्यकाल और बीसीसीआई में दो बार तीन साल के कार्यकाल, और इसके बाद, कूलिंग-ऑफ अवधि लागू होगी. 

बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और हिमा कोहली के समक्ष दलील दी है कि बीसीसीआई के क्लॉज 6 के मुताबिक, जिसे शीर्ष अदालत ने भी अनुमोदित किया है, यह दर्शाता है कि एक व्यक्ति जिसने राज्य क्रिकेट संघ के स्तर पर एक कार्यकाल के बाद बीसीसीआई में एक कार्यकाल अपनी सेवा दी हो, उसे तीन साल की कूलिंग ऑफ अवधि से गुजरना होगा. इसलिए, बीसीसीआई में केवल एक कार्यकाल के बाद कूलिंग ऑफ अवधि लागू होगी. सुनवाई के दौरान, मेहता ने पीठ के समक्ष तर्क दिया था कि खेल को आगे ले जाने और अपने नेतृत्व कौशल को साबित करने के लिए किसी प्रशासक के लिए तीन साल बहुत कम अवधि होती है. इसलिए मौजूदा संविधान में इस प्रावधान को संशोधित करने का आग्रह किया गया है. 

शीर्ष अदालत ने मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह, न्याय मित्र की दलीलों पर गौर किया कि कूलिंग ऑफ अवधि को अध्यक्ष और सचिव तक सीमित रखने का कोई औचित्य नहीं है, और इसे बीसीसीआई के सभी पदाधिकारियों पर लागू किया जाना चाहिए.
बीसीसीआई द्वारा संविधान में प्रस्तावित संशोधनों को स्वीकार करते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा कि यह विचार है कि यह कूलिंग-ऑफ अवधि की भावना और उद्देश्य को कमजोर नहीं करेगा, अगर किसी व्यक्ति ने बीसीसीआई में दो कार्यकाल पूरा कर लिया है या राज्य संघ के स्तर पर. 

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