नई दिल्लीः पिछले साल ईरान में सार्वजनिक स्थल पर बिना हिजाब के घूमने पर महसा अमिनी नाम की महिला की पुलिस गिरफ्तारी और उसके बाद हिरासत में हुई उसकी मौत के बाद ईरान की कुछ महिलाएं हिजाब के विरोध में उतर आई हैं. हिजाब के विरोध में प्रदर्शन अभी भी जारी है. वहीं, ईरान हिजाब के स्टैंड पर झुकने को तैयार नहीं है, इतने विरोध-प्रदर्शनों के बाद भी वह अपनी एक महिला एथलीट एलनाज रेकाबी और शतरंज खिलाड़ी सारा खादेम को बिना हिजाब के प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए उन्हें दंडित कर चुका है. दुनियाभर में ये सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या हिजाब के साथ कोई महिला स्पोर्ट गतिविधियों में हिस्सा ले सकती है? हिजाब और पूरे शरीर को ढंकने वाले लिबास को खेल गतिविधियों के लिए असहज माना जाता है. ऐसा बताया जा रहा है कि महिला खिलाड़ी इन लिबास में खुद को कम्फर्ट महसूस नहीं करती होंगी. लेकिन इस मुद्दे का एक दूसरा पहलु भी है. वह ये है कि दुनिया के कई अन्य मुस्लिम देशों में कई महिला खिलाड़ी ऐसी भी हैं, जो हिजाब और पूरे शरीर को ढंकने वाले लिबास में खेल रही और वह अपने क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं.
मुस्लिम पहचान के साथ लिख रही कामयाबी की इबारत
ट्यूनीशिया की ओंस जैबूर ने पिछले साल उस वक्त इतिहास रच दिया था जब वह ग्रैंड स्लैम के फाइनल में पहुंचने वाली पहली अरब खिलाड़ी बन गई थीं. वह विंबलडन और यूएस ओपन में फाइनल तक पहुंची थीं. लेकिन इसमें खास बात यह है कि वह अपने मुस्लिम पहचान और लिबास के साथ इस मुकाम तक पहुंची थी. 2019 अरब वुमन ऑफ द ईयर अवार्ड की विजेता, जबूर ने अपने इस पहचान के साथ मुकाबले में हिस्सा लेने के लिए जबर्दस्त मुहिम चलाया था. हालांकि यह काम वह अकेली नहीं कर रही हैं. पाकिस्तानी-अमेरिकी वेटलिफ्टर कुलसुम अब्दुल्ला, मिस्र की वॉलीबॉल स्टार दोआ एल्गोबाशी और उनके हमवतन अया मेडनी, और ओलंपिक फ़ेंसर इब्तिहाज मुहम्मद सहित ऐसी कई मुस्लिम महिल एथलीट हैं, जो अपनी सांस्कृतिक मूल्यों और पहचान के साथ स्पोर्ट के क्षेत्र में नाम रौशन कर रही हैं.
इब्तिहाज मुहम्मद
इब्तिहाज मुहम्मद एक अमेरिकी तलवारबाज एथलीट हैं और संयुक्त राज्य अमेरिका की फ़ेंसिंग टीम की सदस्य हैं. वह ओलंपिक में संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए हेडस्कार्फ़ पहनकर खेलने वाली पहली मुस्लिम अमेरिकी महिला हैं. हिजाब पहनकर उन्होंने ओलंपिक पदक (कांस्य) जीतने का रिकॉर्ड बनाया है. उन्हें कई बार अपने पहनावे के लिए आलोचलाओं का भी शिकार होना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी अपने सांस्कृतिक पहचान और मूल्यों से समझौता नहीं किया. 000000
ओंस जैबूर
ट्यूनीशियाई मुस्ल्मि खिलाड़ी ओंस जैबूर अपनी रैंकिंग में लगातार ऊपर उठ रही है. ग्रैंड स्लैम फाइनल में पहुंचने वाली यह पहली उत्तरी अफ्रीकी, अरब और ट्यूनीशियाई महिला हैं. जैबूर ने दिग्गज सेरेना विलियम्स के साथ ईस्टबोर्न में एक डब्ल्यूटीए मुकाबले में उनकी भागिदार बनी थीं. उन्होंने इस मुकाबले में मीडिया से खिताब करते हुए कहा था कि आप को कुछ पाने के लिए हमेशा संघर्ष करना पड़ता है. चुनौतियों का एक लंबा रास्ता तय करना पड़ता है. उन्होंने कहा था कि उनकी मौजूदा स्थिति और कामयाबी से दुनियाभर और खासकर अरब जगत की महिलाएं अपनी पहचान के साथ स्पोर्ट में आने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होंगी.
कुलसुम अब्दुल्ला
पाकिस्तानी-अमेरिकी वेटलिफ्टर, कुलसुम अब्दुल्ला पहली महिला वेटलिफ्टर हैं, जिन्होंने 2011 विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर पहली बार एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया था. उसी साल उन्होंने अपने नाम एक और रिकार्ड बनाते हुए तमाम मुस्लिम महिलाओं के लिए भी एक रास्ता दिखा दिया जब उन्होंनें अमेरिकन ओपन वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में हिजाब पहनकर वेटलिफ्टिंग की. उन्होंने एक साक्षत्कार में कहा था कि यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान दिया था, कभी अपने कपड़ों के बारे में नहीं सोचा था. उन्होंने कहा कि आलोचना तो एक महिला की भी होती है, चाहे वह कोई भी कपड़ा पहने. मैं, आलोचनाओं से कभी पीछे नहीं हटती, अगर ऐसा होता तो एक मुस्लिम महिला हिजाब लगाकर जिम नहीं जाती.
डोआ एल्गोबाशी
2016 में ओलंपिक में बीच वॉलीबॉल मुकाबले में हिस्सा लेने वाली पहली मिस्री महिला खिलाड़ी एल्गोबाशी इस वक्त मिस्र की ओलंपिक बीच वॉलीबॉल टीम बनाने के लिए प्रशिक्षण ले रही हैं. उन्होंने 2016 में रियो डी जनेरियो में ओलंपिक की शुरुआत की, जहां उसे हिजाब पहनने की इजाजत दी गई और ऐसा करने वाली वह पहली हिजाबी एथलीट बन गई. उन्होंने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि मुझे वह सभी खेल खेलने का अधिकार है जिसमें मैं खुद को सहज महसूस करती हूं. हिजाब मेंरे कल्चर का हिस्सा है, मैं इसी पहनकर खेलती हूं. आलोचकों को मेरे खेल और परफॉरमेंस पर ध्यान देना चाहिए न कि मेरे कपड़ों और हिजाब पर.
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