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दूध के धुले नहीं है मुसलमान भी, उनके नेता भी हिंदू संतों-नेताओं की तरह उगलते हैं जहर !

हिंदू साधु-संतों द्वारा मुसलमानों के खिलाफ कई मौकों पर दिए विवादित बयान के खिलाफ कोर्ट में दर्ज मुकदमे के बाद 'हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस-ट्रस्ट ऑफ लखनऊ’ ने कोर्ट में एक याचिका दायर कर मुस्लिम नेताओं द्वारा भी नफरती भाषण देने का इल्जाम लगाया है. 

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दूध के धुले नहीं है मुसलमान भी, उनके नेता भी हिंदू संतों-नेताओं की तरह उगलते हैं जहर !
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Hussain Tabish|Updated: Feb 16, 2023, 08:53 PM IST

नई दिल्लीः अक्सर सेक्यूलर नेता, धार्मिक नेता और अल्पसंख्यक समूदाय के लोग इस बात की शिकायत करते हैं कि केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं और उन्हें दबाया जा रहा है, लेकिन इसी बीच गृरुवार को हिंदुओं और हिंदू धर्म के खिलाफ मुस्लिम और ईसाई समुदाय के सदस्यों द्वारा घृणित भाषणों, बयानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. इसमें कुछ हालिया उदाहरणों का हवाला दिया गया है, जिसमें सर तन से जुदा के नारे भी शामिल हैं.

सर तन से जुदा के नारे का किया जिक्र 
वकील हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन के जरिए कोर्ट में ये अर्जी दायर की गई है. इसमें कहा गया है, ’’कई मौकों पर, मुस्लिम भीड़ द्वारा जुलूस निकाला गया है, जिसमें उन्हें सिर कलम करने यानी सर तन से जुदा के नारे लगाते हुए सुना गया है और इस तरह की कॉल के बाद सिर कलम करने की असल में भी घटनाएं हुई हैं. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 जनवरी को कुछ घटनाओं के उदाहरणों के संदर्भ में इस अर्जी को दाखिल करने की अनुमति दी थी.’’ 

हरिद्वार में आयोजित 'धर्म संसद’ का भी दिया हवाला 
पत्रकार कुर्बान अली की लंबित याचिका में ’हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस-ट्रस्ट ऑफ लखनऊ’ की सद्र रंजना अग्निहोत्री ने अर्जी दाखिल की है. अली द्वारा दायर याचिका के मुताबिक, दिल्ली और हरिद्वार में आयोजित 'धर्म संसद’ में मुबैयना तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण दिए गए थे, जिसके बाद उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए और अभियुक्तों की गिरफ्तारी भी हुई है. अग्निहोत्री की याचिका में कहा गया है कि वर्तमान अर्जी संबंधित मामले से संबंधित प्रासंगिक तथ्यों और आंकड़ों के साथ दायर किया गया है. मुस्लिम और ईसाई समुदाय के सदस्यों द्वारा दिए गए नफरत भरे भाषणों को संक्षेप में रिकॉर्ड पर रखा जा रहा है.

ओवैसी के भाषणों का किया है जिक्र 
याचिका में एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी सहित प्रमुख लोगों के भाषण सहित कई उदाहरणों का हवाला दिया गया है. ओवैसी को एक सार्वजनिक रैली में यह कहते हुए देखा गया था, "मैं पुलिस को बताना चाहता हूं. इसे याद रखें. योगी हमेशा मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे. मोदी हमेशा के लिए प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे. जब योगी वापस चले जाएंगे, जब मोदी पहाड़ों पर चले जाएंगे, तो आपको बचाने कौन आएगा? याद रखना, हम नहीं भूलेंगे,’’ 

स्टैंड-अप कॉमेडियन पर हिंदू देवताओं का मजाक उड़ाने का आरोप 
अर्जी में मुनव्वर फारुकी, अलेक्जेंडर बाबू, सुरलीन कौर आदि जैसे कुछ स्टैंड-अप कॉमेडियन का भी जिक्र किया गया है और दावा किया है कि उन्होंने हिंदू देवताओं और हिंदू धर्म पर  अपमानजनक चुटकुले बनाए हैं. याचिका में इल्जाम लगाया गया है, जब हिंदुओं के खिलाफ नफरत की बात आती है तो जिम्मेदारी यहीं नहीं रुकती. यहां तक कि ’कव्वालियों’ के गाने भी हिंदुओं के खिलाफ नफरत भड़काने और मुसलमानों को हिंदुओं को मारने की अपील करने के लिए बनाए गए हैं.’’ 

हिंदुओं का धर्म बदलने का इल्जाम 
याचिका में इल्जाम लगाया गया है कि यह जिक्र करना उचित है कि मुसलमानों और ईसाई मिशनरियों द्वारा पूरे मुल्क में हिंदुओं का धर्म बदलने का आंदोलन चलाया जा रहा है. गरीबी और लालच की वजह से वह ज्यादातर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के हिंदुओं का फायदा उठा रहे हैं और उन्हें गैर-कानूनी तरीके से ईसाई धर्म में दाखिल करा रहे हैं. यह जिक्र करना अप्रासंगिक नहीं है कि मेघालय, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा राज्य और भारत के अन्य जगहों में, ईसाई मिशनरी मौके का फायदा उठाकर बेकसूर हिंदुओं का धर्मांतरण कराने की कोशिश कर रहे हैं.’’

Zee Salaam

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