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ओडिशा: BJD को करारा झटका, नवीन पटनायक के करीबी वीके पांडियन ने सियासत को कहा अलविदा

VK Pandian Retirement Active politics: ओडिशा असेंबली इलेक्शन में हार के बाद बीजेडी (BJD) नेता वीके पांडियन ने सक्रिय राजनीति से संन्यास का ऐलान कर दिया है. ओडिशा में पांडियन की गिनती BJD के मुखिया और दो बार के सीएम नवीन पटनायक के सबसे करीबी के रूप में होती है.

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ओडिशा: BJD को करारा झटका, नवीन पटनायक के करीबी वीके पांडियन ने सियासत को कहा अलविदा
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Md Amjad Shoab|Updated: Jun 09, 2024, 06:21 PM IST

VK Pandian Retirement Active politics: ओडिशा असेंबली इलेक्शन में हार के बाद बीजेडी (BJD) नेता वीके पांडियन ने सक्रिय राजनीति से संन्यास का ऐलान कर दिया है. ओडिशा में पांडियन की गिनती BJD के मुखिया और दो बार के सीएम नवीन पटनायक के सबसे करीबी के रूप में होती है. इस बार के इलेक्शन में बीजेडी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. जिसके चलते पांडियन की काफी आलोचनाओं का सामान करना पड़ रहा है.

पांडियन ने रविवार, 9 जून को सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर अपने इस फैसले की घोषणा की. पूर्व आईएएस अफसर ने कहा कि उन्होंने "अपनी अंतरात्मा की आवाज पर यह फैसला किया है". उन्होंने पार्टी की हार की तरफ इशारा करते हुए कहा कि वह कुछ पॉलिटिकल नैरेटिव का वक्त पर जवाब देने में असफल रहे. उन्होंने कहा कि उनके ऊपर विरोधी दलों द्वारा लगाये गये आरोप अगर इस चुनाव में पार्टी की हार की सबसे बड़ी वजह है तो वह इसके लिए माफी चाहते हैं.

बता दें कि लोकसभा इलेक्शन के साथ ओडिशा की 147 सदस्यीय विधानसभा के लिए भी मतदान हुआ था. इस चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 78 सीटों पर जात हासिल की, जबकि बीजू जनता दल को 51 सीटों पर जीत मिली. वहीं, तीसरे नंबर पर रही कांग्रेस ने 14 और माकपा को एक सीट से संतुष्ट होना पड़ा. तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहे. 

लोकसभा में भी बीजेडी का सूपरा साफ
लोकसभा की 21 सीटों में से 20 बीजेपी के खाते में और एक कांग्रेस के खाते में गई, जबकि बीजद एक भी सीट जीतने में नाकाम रही. इस हार से साथ ही राज्य में 24 साल से ज्यादा चली नवीन पटनायक की BJD सरकार के हाथ से सत्ता चली गई.

पांडियन आरोपों को किया खारिज 
पिछले साल 27 नवंबर को अधिकारिक तौर पर पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने वाले पांडियन 12 साल तक सीएम पटनायक के पर्सनल सेक्रेटरी रहे. इस इलेक्शन में बीजेपी उन पर काफी हमलावर रही. हालांकि, पांडियन ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि वह सिर्फ "मेरे गुरू" नवीन पटनायक और ओडिशा के लोगों की मदद करने के लिए सियासत में आए थे. उनकी कोई सियासी ख्वाहिश नहीं थी और इसलिए उन्होंने कभी इलेक्शन भी नहीं लड़ा.

उन्होंने साफ किया कि उन्हें उनके दादा से संपत्ति मिली थी, उसके अलावा देश या विदेश में उनकी कोई संपत्ति नहीं है. उनकी सबसे बड़ी संपत्ति "ओडिशा के लोगों का प्यार और स्नेह है".

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