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Arvind Kejriwal को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं; वेट एंड वाच की हालत में SC

Arvind Kejriwal: दिल्ली आबकारी घोटाले मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. लेकिन उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. कोर्ट ने 26 अप्रैल पर उनकी याचिका पर सुनवाई करने के लिए कहा है.

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Arvind Kejriwal को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं; वेट एंड वाच की हालत में SC
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Siraj Mahi|Updated: Jun 24, 2024, 02:02 PM IST

Arvind Kejriwal: उच्चतम न्यायालय ने कथित आबकारी घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत पर अंतरिम रोक लगाने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उनकी याचिका पर सुनवाई के लिए 26 जून की तारीख तय की है. न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की अवकाशकालीन पीठ ने सोमवार को कहा कि वह इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय के आदेश का इंतजार करना चाहेगी. उच्च न्यायालय 25 जून को अपना फैसला सुनाएगा.

केजरीवाल होते बाहर
केजरीवाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने जमानत आदेश पर अंतरिम रोक हटाने का अनुरोध किया. ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने केजरीवाल की याचिका का विरोध किया और कहा कि उच्च न्यायालय उसकी रोक संबंधी याचिका पर फैसला सुनाने वाला है. अगर उच्च न्यायालय धन शोधन रोधी संघीय एजेंसी को अंतरिम रोक संबंधी राहत नहीं देता तो आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल गत शुक्रवार को तिहाड़ जेल से बाहर आ सकते थे. उन्हें प्रवर्तन निदेशालय ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था.

रोक लगा सकता है SC
बहस के दौरान सिंघवी ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत पर रोक लगाने से पहले ट्रायल कोर्ट के आदेश का इंतजार नहीं किया. उन्होंने तर्क दिया, "अगर हाई कोर्ट आदेश देखे बिना रोक लगा सकता है, तो माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक क्यों नहीं लगा सकते." इस पर न्यायमूर्ति मिश्रा ने जवाब दिया, "अगर हाई कोर्ट ने गलती की है, तो क्या हमें इसे दोहराना चाहिए?" सिंघवी ने आगे कहा कि जमानत आदेश पर रोक अभूतपूर्व थी और उन्होंने घोषणा की कि केजरीवाल के भागने का कोई खतरा नहीं है. 

इंतजार करने की सलाह
पीठ ने संकेत दिया कि अंतिम आदेश जल्द ही आने की उम्मीद की जा सकती है और सभी पक्षों को धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करने की सलाह दी. इस पर, सिंघवी ने जमानत प्राप्त करने के बाद समय की हानि के बारे में चिंता जताई. सिंघवी ने तर्क दिया, "मैं अंतरिम अवधि में क्यों मुक्त नहीं हो सकता? मेरे पक्ष में फैसले हैं." न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, "यदि हम अभी आदेश पारित करते हैं, तो हम इस मुद्दे पर पूर्वाग्रह से ग्रसित होंगे. 

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