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भागवत की जनसंख्या नीति पर चिंता के बाद ओवैसी का जवाब; इसे बताई देश की बड़ी समस्या

Owaisi says No need for population control: ओवैसी ने कहा, जनसंख्या नियंत्रण की कोई जरूरत नहीं है, चिंता देश में एक बूढ़ी होती बड़ी आबादी और बेरोजगार युवाओं को लेकर है.

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एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
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Hussain Tabish|Updated: Oct 06, 2022, 07:37 AM IST

हैदराबादः देश की जनसंख्या नीति (population policy) को फिर से परिभाषित करने को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief, Mohan Bhagwat) की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM chaif Owaisi) ने बुधवार को कहा कि जनसंख्या नियंत्रण (population control) की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि भारत पहले ही प्रतिस्थापन दर हासिल कर चुका है. ओवैसी ने एक ट्वीट में कहा, “अगर हिंदुओं और मुसलमानों का एक ही डीएनए है, तो असंतुलन कहां है? जनसंख्या नियंत्रण की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि हमने पहले ही प्रतिस्थापन दर हासिल कर ली है. ओवैसी ने आगे कहा, "जनसंख्या असंतुलन" के डर से दुनिया भर में नरसंहार, जातीय सफाई और घृणा अपराध हुए हैं. कोसोवो सर्बियाई राष्ट्रवादियों द्वारा अल्बानियाई मुसलमानों के नरसंहार के बाद बनाया गया था."  ओवैसी ने कहा, "चिंता एक बूढ़ी होती बड़ी आबादी और बेरोजगार युवाओं को लेकर है, जो कल अपने बुजुर्गों की मदद नहीं कर सकते हैं. देश में पिछले कुछ समय से मुसलमानों की प्रजनन दर में सबसे तेज गिरावट आई है.”

समुदाय आधारित जनसंख्या असंतुलन बड़ा मुद्दा 
इससे पहले भागवत ने बुधवार को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दशहरा रैली को खिताब करते हुए कहा कि भारत को व्यापक सोच के बाद जनसंख्या नीति तैयार करनी चाहिए और यह सभी समुदायों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि समुदाय आधारित जनसंख्या असंतुलन एक महत्वपूर्ण विषय है और इसे नरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने जनसांख्यिकीय असंतुलन के मुद्दे को उठाया और कहा कि जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है. 

पूर्वी तिमोर, दक्षिण सूडान और कोसोवो का दिया उदाहरण 
भागवत ने कहा, “पचहत्तर साल पहले, हमने अपने मुल्क में इसका अनुभव किया है. 21 वीं सदी में, तीन नए देश जो अस्तित्व में आए हैं, उनमें पूर्वी तिमोर, दक्षिण सूडान और कोसोवो हैं. वे सभी इंडोनेशिया, सूडान और सर्बिया के कुछ क्षेत्रों में जनसंख्या असंतुलन के नतीजों से पैदा हुए देश हैं.’’ उन्होंने कहा, “जन्म दर में अंतर के साथ-साथ लालच देकर या बलपूर्वक धर्मांतरण और घुसपैठ भी इस असंतुलन के बड़े कारण हैं. इन सभी कारकों पर विचार करना होगा.“ 

चीन से सबक लेने की अपील 
भागवत ने चीन की ‘एक परिवार, एक संतान’ नीति का उदाहरण देते हुए कहा, ’’जहां हम मानव अबादी पर नियंत्रण का प्रयास कर रहे हैं, वहीं हमें देखना चाहिए कि चीन में क्या हो रहा है? उस देश ने एक परिवार, एक संतान नीति को अपनाया और अब वह बूढ़ा हो रहा है.’’ उन्होंने कहा, ’’भारत आज 57 करोड़ की युवा आबादी के साथ सबसे बड़ा युवा देश है, और अगले 30 सालों तक हम युवा राष्ट्र बने रहेंगे, लेकिन 50 वर्षों के बाद क्या होगा? क्या आबादी का पेट भरने के लिए हमारे पास पर्याप्त भोजन होगा?’’ 

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