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इंसाफ पर जब बुल्डोजर चलाया जा रहा हो, तो अदालतें आंखें बद कर नहीं बैठ सकती हैः HC

Court cant turn blind eye to ends of justice being bulldozed: दिल्ली हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी सरकारी जमीन पर चलाए जा रहे एक हेल्थ सेंटर का पट्टा रद्द करने के विरोध में दी गई याचिका पर सुनावाई करते हुए की है. 

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Hussain Tabish|Updated: Dec 03, 2022, 05:52 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि जब दिनदहाड़े इंसाफ के सिरों पर बुलडोजर चल रहा हो, तो लोकतंत्र की अंतरात्मा के रक्षक होने के नाते अदालतें आंख मूंद कर नहीं बैठी रह सकती है.  हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी सरकारी जमीन पर बने धर्मार्थ अस्पताल का पट्टानामा रद्द करने के आदेश को रद्द करते हुए दी है. हाई कोर्ट ने कहा कि यह इंसाफ का मजाक उड़ाना है. यह दुर्भागयपूर्ण है कि  सरकारी जमीन पर एक धर्मार्थ अस्पताल चलाने और ठोस अनुसंधान और उपचार सुविधाएं प्रदान करने जैसे नेक काम करने वाली संस्था का पट्टानामा रद्द करने जैसी कठोर कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है.

अनुचित उत्पीड़न कानून के शासन पर एक धब्बे की तरह होगा
जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने कहा, ‘‘कानून, जिसे कल्याण सुनिश्चित करने का एक साधन होना चाहिए, उसे मौजूदा मामले में अत्याचार के एक औजार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. एक संवैधानिक अदालत और लोकतंत्र की अंतरात्मा की रखवाली होने के नाते, यह अदालत उस वक्त आंखें बंद नहीं रख सकती है जब दिन के उजाले में इंसाफ के निजाम और उसके सिरों पर बुलडोजर चलाया जा रहा हो.’’ हाई कोर्ट ने कहा कि यह इदारा राज्य के कल्याणकारी कार्यों को लागू करने का काम कर रही है, और इसकी वजह से इसके साथ होने वाला अनुचित उत्पीड़न कानून के शासन पर एक धब्बे की तरह होगा.

निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी
हाईकोर्ट ने खोसला मेडिकल इंस्टीट्यूट की एक अपील पर सुनवाई करने के दौरान यह बातें कही है. खोसला मेडिकल इंस्टीट्यूट ने शालीमार बाग में एक रिसर्च सेंटर और अस्पताल की स्थापना की थी. संस्था ने हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में दिल्ली विकास प्राधिकरण के 1995 के आदेश को बरकरार रखते हुए एक निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी. इसमें दिल्ली विकास प्राधिकरण के पट्टे को रद्द करने और अस्पताल को खाली कर उसका कब्जा सौंपना करने का निर्देश दिया गया था. अफसरों ने पट्टानामा को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि संस्थान ने कुछ लोगों को नए सदस्यों के रूप में शामिल करके संपत्ति को तीसरे पक्ष को हस्तांतरित कर दिया था और पट्टानामा की शर्तों का उल्लंघन किया था.

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