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JDU के जाने से राज्यसभा में कमजोर होगी राजग की ताकत; इन दलों पर बढ़ेगी निर्भरता

नीतीश कुमार के राजग छोड़ने के बाद राज्यसभा में भाजपा की स्थिति पहले से और कमजोर हो गई है. उसे बहुमत का आंकड़ा पाने में अभी 10 सीटें कम है, जिसके लिए राजग को दूसरे दलों पर निर्भर रहना होगा.

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Zee Media Bureau|Updated: Aug 11, 2022, 12:03 AM IST

नई दिल्लीः नीतीश कुमार के राजग घठबंधन छोड़ने के बाद  राज्यसभा में भाजपा की ताकत और कम हो गई है. राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह सहित जदयू के सदन में पांच सदस्य हैं. राज्यसभा में अभी 237 सदस्य हैं, और आठ पद खाली हैं, जिनमें चार जम्मू-कश्मीर से, एक त्रिपुरा से और तीन नौमिनेटेड होने वाले सदस्य हैं. 245 सदस्यीय सदन में, भाजपा को साधारण बहुमत के लिए 123 सदस्यों की हिमायत की जरूरत होगी. वहीं,  सत्तारूढ़ राजग गठबंधन के सदस्यों की संख्या अभी 114 है, जिसमें 5 मनोनीत सांसद, 1 निर्दलीय और 5 जद (यू) नेता शामिल हैं.
जब नीतीश कुमार की जदयू राजग गठबंधन का हिस्सा थी, तब भी एनडीए के पास बहुमत नहीं था. अब जबकि उसके गठबंधन छोड़कर जदयू के जाने के बाद सदन में एनडीए की संख्या 114 से घटकर 109 हो गई है. अब एनडीए के सांसदों की तादाद बहुमत से 10 कम है.

त्रिपुरा में होने वाले चुनाव मेंं अगर भाजपा जीत हासिल करेगी तो उसे कुछ फायदा होगा और इसके अलावा सरकार तीन और सदस्यों को मनोनीत कर सकती है. तब एनडीए की ताकत 113 हो जाएगी, जो फिर भी आधे से यानी बहुमत से कम ही रहेगी. सत्तारूढ़ गठबंधन को राज्यसभा में महत्वपूर्ण बिल पास करने के लिए बीजद और वाईएसआरसीपी जैसे छोटे दलों के समर्थन की जरूरत होगी. बीजद और वाईएसआरसीपी दोनों के राज्यसभा में नौ-नौ सदस्य हैं, जबकि भाजपा के 91 सदस्य हैं.

गौरतलब है कि हाल के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों के दौरान, सत्तारूढ़ गठबंधन को एनडीए के सहयोगियों के अलावा बीजद, वाईएसआरसी, टीडीपी, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और बसपा की हिमायत हासिल हुई थी.  हाल के महीनों में शिअद और शिवसेना के बाद जद (यू) एनडीए छोड़ने वाली तीसरी पार्टी बन गई है. टीडीपी ने 2019 के आम चुनाव से पहले एनडीए छोड़ दिया था. विपक्षी दलों में, कांग्रेस राज्यसभा में 31 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है, उसके बाद टीएमसी 13 सदस्यों के साथ दूसरे स्थान पर है.

हरिवंश की किस्मत अधर में लटकी 
उपसभापति हरिवंश की किस्मत अभी अधर में लटकी हुई है, क्योंकि उन्हें इस्तीफा देना पड़ सकता है. उनकी पार्टी सत्तारूढ़ गठबंधन राजग से बाहर हो गई है. हालांकि, हरिवंश नारायण सोमनाथ चटर्जी के नक्शेकदम पर चलते हुए पद पर बने रह सकते हैं, जो 2008 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) द्वारा पार्टी से निष्कासित किए जाने के बाद भी लोकसभा स्पीकर बने रहे थे.

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