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मुसलमानों ने कुर्बानी छोड़ हिंदू का कराया दह संस्कार, 'राम नाम सत्य है' के नारे भी लगाए

Muslims got the Hindu cremated: 'ईद-उल-अज़हा' (बकरीद) के मौके पर राजस्थान के जयपुर में मुस्लिम समाज के लोगों ने गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की है.

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मुसलमानों ने कुर्बानी छोड़ हिंदू का कराया दह संस्कार, 'राम नाम सत्य है' के नारे भी लगाए
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Zee Salaam Web Desk|Updated: Jul 11, 2022, 10:20 AM IST

रजाउल्लाह/जयपुर: जहां एक तरफ उदयपुर की घटना से पूरे राजस्थान में खलबली मची हुई नजर आ रही है तो वहीं दूसरी तरफ  जयपुर में ऐसा नजारा सामने आया कि जिसकी हर तरफ अब चर्चा हो रही है, दरअसल राजस्थान के जयपुर में बकरीद के मौके पर मुसलमान भाइयों ने गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की, हिंदू की अर्थी को न सिर्फ कंधा दिया, बल्कि ''राम नाम सत्य है'' के नारे भी लगाए, कुर्बानी छोड़ कर श्मशान घाट गए, वहां चिता पर लकड़ियां तक सजाईं. 

जयपुर के संजय नगर स्थित भट्ठा बस्ती इलाके में इस दृश्य को जिसने भी देखा, उसने तारीफ की. अंतिम संस्कार के दौरान मुस्लिम समाज के लोग कंधा से कंधा मिलाकर डटे रहे. उन्होंने धर्म के नाम पर द्वेष फैलाने वालों को साफ संदेश दिया है.

केंसर से हो गया था युवक का इंतकाल
ईद उल अजहा के मौके पर भट्टा बस्ती स्थित नूरानी मस्जिद में सुबह 8 बजे नमाज पढ़ने के लिए लोग इकट्ठे हो रहे थे. इतने में इलाके में रहने वाले सेंसर पाल सिंह के निधन की सूचना मिली, जिसके बाद मुस्लिम समाज के लोग नमाज के बाद यहां से सीधे सेंसर पाल सिंह की अर्थी को कंधा देने और अंतिम संस्कार के लिए निकल गए. श्मशान घाट में क्रिया-कर्म का पूरा प्रबंध किया और चांदपोल स्थित श्मशान घाट से लौटकर आए. फिर ईद की कुर्बानी दी. कुर्बानी से पहले इंसानियत और भाईचारे का कर्तव्य निभाया.

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मुस्लिम समुदाय के बीच ही रहे पाल सिंह
बता दें कि, सेंसर पाल के परिवार में इतने लोग नहीं थे कि शवयात्रा निकालकर अंत्येष्टि की जा सके. उनके पड़ोस में रहने वाले मुस्लिम समाज के लोग आगे आए. करीब 2 किलोमीटर की शवयात्रा में हिंदू-मुस्लिम की एकता को जिसने भी देखा, उसने तारीफ की. करीब 35 साल से सेंसर पाल सिंह मुस्लिम समाज के लोगों के बीच में ही रह रहे थे.

कंधा देने के लिए पड़ गए थे लोग कम
दरअसल सेंसर पाल सिंह के दो बच्चे हैं. उनके परिवार में कुल 5-7 लोग ही हैं. सहित परिवार में 5-7 लोग ही थे। कंधा देने वाले कम पड़ गए थे। इसलिए मुस्लिम समाज के लोग आगे आए। समाज के लोगों ने कंधा तो दिया ही, ''राम नाम सत्य है'' के नारे भी लगाए. नमाज पढ़ने के बाद कुर्बानी से पहले यह नेक काम किया.

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