मुंबईः मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने धारावी में एक नाबालिग लड़की को अगवा करने और उसे जबरन चूमने की कोशिश करने के जुर्म में 25 साल के एक शख्स को पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है.
स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश जयश्री पुलाते ने सोमवार को मुल्जिम को भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (अगवा करना) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) कानून के संबंधित प्रावधानों के तहत गंभीर यौन हमले के लिए कसूरवार पाया था.
7 साल बाद आया मामले का फैसला
गौरतलब है कि 2015 में घटना के वक्त पीड़िता नौ साल की थी और एक सरकारी स्कूल में पढ़ती थी. पीड़िता ने बयान में कहा कि मुल्जिम उसे एक इमारत की सबसे ऊपरी मंजिल पर ले गया और उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसे चूमने की कोशिश की. लड़की किसी तरह खुद को छुड़ाकर भागने में कामयाब रही. मुल्जिम उसे ड्रेस देने के बहाने मौके पर ले गया था.
आरोपी की दलील खारिज
अदालत ने कहा कि बचाव पक्ष ने यह दावा करते हुए बहुत बहस की थी कि पीड़िता के बयान और अदालत के सामने उसके सबूतों के बीच फर्क था कि क्या मुल्जिम ने उसे चूमा था या उसे चूमने की कोशिश कर रहा था. जज ने देखा कि फर्क वाले इस दलील में कोई दम नहीं था, क्योंकि यह रिकॉर्ड पर साबित हो गया है कि मुल्ज्मि ने पीड़िता का अपहरण कर लिया, उसे छत पर ले गया और उसे अपनी तरफ खींच लिया, जिससे पता चला कि उसने ऐसा काम यौनिक इच्छा की पूर्ति के इरादे से किया था.
उल्लेखनीय है कि पोक्सो कानून के तहत किसी बच्चे का गलत तरीके से छूने और चूमने को भी अपराध की श्रेणी में रखा गया है और इसके लिए दोष साबित होने पर सजा और अर्थदंड दोनों का प्रावधान किया गया है.
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