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भागवत बोले, "हमें वह होना चाहिए जो हम हैं, नहीं तो भारत, भारत नहीं रहेगा"

Mohan Bhagwat RSS Chief: कर्नाटक में चित्रदुर्ग में दलित और पिछड़ा वर्ग समुदायों के संतों को संबोधित करते हुए कहा कि धर्मांतरण रोकें, यह व्यक्ति को उसकी जड़ों से अलग कर देता है. भागवत ने कहा कि अगर हम चाहते हैं कि भारत, भारत के रूप में बना रहे, तो हमें वह होना चाहिए जो हम (सांस्कृतिक रूप से) हैं,

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मोहन भागवत
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Zee Media Bureau|Updated: Jul 13, 2022, 07:03 AM IST

चित्रदुर्गः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने मंगलवार को कर्नाटक में धर्म परिवर्तन रोकने पर जोर देते हुए कहा कि यह लोगों को उनकी जड़ों से अलग कर देता है. भागवत चित्रदुर्ग के श्री शिवशरण मदारचन्नैयाह गुरुपीठ में आयोजित एक प्रोग्राम के दौरान दलित और पिछड़ा वर्ग समुदायों के संतों को खिताब कर रहे थे. संगठन द्वारा जारी एक बयान में आरएसएस के सरसंघचालक के हवाले से कहा गया है कि धर्म परिवर्तन अलगाववाद की तरफ ले जाता है. धर्मांतरण व्यक्ति को जड़ों से अलग करता है. इसलिए, हमें धर्म परिवर्तन को रोकने की कोशिश करनी चाहिए.

छुआछूत और गैरबराबरी हैं शास्त्रों में नहीं है 
भागवत ने कहा कि अगर हम चाहते हैं कि भारत, भारत के रूप में बना रहे, तो हमें वह होना चाहिए जो हम (सांस्कृतिक रूप से) हैं, नहीं तो भारत, भारत नहीं रहेगा. इसलिए, हमें यह यकीनी करना होगा कि ’धर्म’ हर जगह हो. भागवत ने कहा कि हिन्दू समाज में जो समस्याएं हैं वे छुआछूत और गैरबराबरी हैं, जो सिर्फ मन के अंदर है, धार्मिक शास्त्रों में नहीं. उन्होंने कहा, ‘‘कई सदियों से हमारे दिमाग में मौजूद इस समस्या को हल करने में वक्त लग सकता है. इस मुद्दे का समाधान खोजने की जरूरत है. यह निश्चित रूप से एक दिन होगा और हम इस पर काम कर रहे हैं. तब तक, हमें धैर्य रखना चाहिए.’’ 

आधुनिक शिक्षा पद्धति संस्कृति से दूर करता है 
आरएसएस प्रमुख ने भारतीय संस्कृति पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया, जैसे-बड़ों का इज्जत करना, महिलाओं के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करना. भागवत ने धर्मगुरुओं से कहा, ‘‘शिक्षण का आधुनिक तरीका तालीम तो देता है, लेकिन यह संस्कृति से दूर करता है. अगर हमें संस्कृति और प्रतिबद्धता को मजबूत करना है, तो हमें अपने आप को किसी न किसी प्रकार की पूजा पद्धति से जोड़ना होगा, जो सिर्फ संत ही कर सकते हैं.’’ 

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