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राज्यसभा में IAS पूजा खेडकर का जिक्र, NCP सांसद फौजिया खान ने की दिव्यांग कोटे में बदलाव की मांग

NCP MP Fauzia Khan: राज्यसभा सांसद डॉक्टर फौजिया खान ने UPSC एग्जाम में दिव्यांग उम्मीदवारों को पेश आ रही चुनौतियों का मुद्दा आज यानी 25 जुलाई को राज्यसभा में उठाया है.  इस दौरान उन्होंने यूपीएसी एग्जाम में कई बदलाव की मांग की है.

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राज्यसभा में IAS पूजा खेडकर का जिक्र, NCP सांसद फौजिया खान ने की दिव्यांग कोटे में बदलाव की मांग
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Zee Salaam Web Desk|Updated: Jul 25, 2024, 08:06 PM IST

NCP MP Fauzia Khan: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की राज्यसभा सांसद डॉक्टर फौजिया खान ने UPSC एग्जाम में दिव्यांग उम्मीदवारों को पेश आ रही चुनौतियों का मुद्दा आज यानी 25 जुलाई को राज्यसभा में उठाया है. राज्यसभा में शून्यकाल में इसके महत्व को रेखांकित करने लिए फौजिया खान ने मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित एक कैंडिडेट कार्तिक कंसल के सामने आई, कठिनाइयों का हवाला दिया, जिन्होंने चार बार UPSC का एग्जाम को पास किया हैं. 

पूजा खेडकर का किया जिक्र
उन्होंने कहा, ‘‘एक तरफ हम पूजा खेडकर को देखते हैं, जो यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) की परीक्षा पास कर लेती हैं और झूठे दस्तावेजों के आधार पर पोस्टिंग हासिल कर लेती हैं. दूसरी तरफ, हम एक कार्तिक कंसल को देखते हैं जो चार बार UPSC का एग्जाम पास करता है और फिर भी सेवा से महरूम हो जाता है. वजह है, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की उनकी शारीरिक विकलांगता.’’ 

फौजिया खान ने कार्तिक कंसल को लेकर कही ये बड़ी बात
फौजिया खान ने कहा, "कंसल की यूपीएससी रैंक 2021 में ही उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए योग्य बना सकती थी, लेकिन उस वक्त पात्र शर्तों की लिस्ट में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी को मान्यता नहीं दी गई थी. सिविल सेवा परीक्षाओं को पास करना एक उपलब्धि है. एक शख्स के लिए इस उपलब्धि को कई बार हासिल करना और फिर सिर्फ भेदभावपूर्ण प्रथाओं का सामना करना है, यह व्यवस्था की कमियों की याद दिलाता है.’’

की ये बड़ी मांग
उन्होंने कहा कि मुख्तलिफ सेवाओं के लिए विकलांग लोगों के लिए पात्रता के अलग-अलग मानदंड हैं. खान ने कहा कि इसका समाधान मेडिकल बोर्डों के लिए समान दिशानिर्देशों को लागू करने, विसंगतियों को कम करने और निष्पक्ष मूल्यांकन करने में निहित है. उन्होंने कहा, ‘‘इन समायोजनों को करके, एक ऐसी प्रणाली बनाई जा सकती है, जो हर कैंडिडेट का समर्थन करती हो और पूरी प्रक्रिया में निष्पक्षता और समावेशिता को बढ़ावा देती हो.’’ 

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