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इजराइल की जनता को पसंद नहीं है नेतन्याहू का कट्टरवादी प्लान; सड़कों पर उतरी अवाम

इज़राइल में प्रधानमंत्री नेतन्याहू सरकार के गठन को अभी महीनाभर भी नहीं हुए हैं, लेकिन जिस तरह से सरकार देश में कट्टरवादी नीतियों को लागू कर रही है, उस खतरे को देखते हुए देश की जनता सड़कों पर उतर गई है.

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अलामती तस्वीर
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Hussain Tabish|Updated: Jan 15, 2023, 02:26 PM IST

तेल अवीवः इजरायल की सत्ता संभाजे हुए अभी प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को महीना भर भी नहीं हुआ है, लेकिन उनके विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए हैं. उनकी सरकार द्वारा देश की न्यायिक प्रणाली अमूल-चल प्रस्ताव लाने के खिलाफ शनिवार रात तेल अवीव में हजारों की तादाद में लोग सड़कों पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन करना श्ुरू कर दिया है. विरोध-प्रदर्शन कर रहे लोगों ने नेतन्याहू की तुलना रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से करते हुए दावा किया है कि इज़राइल अर्ध-लोकतांत्रिक हंगरी और  ईरान बनता जा रहा है.

देश की कानूनी प्रणाली पर कर रहे हैं हमला 
सीएनएन ने स्थानीय इजराइली मीडिया के हवाले से बताया कि भारी बारिश के बावजूद प्रदर्शनकारी मध्य तेल अवीव के हाबीमा चौक पर जमा हो गए और सड़कों को घेर लिया है. इसी तरह के विरोध के लिए कई लोग यरूशलेम में भी सड़कों पर उतर आए हैं. इज़राइल के सर्वोच्च न्यायालय के अध्यक्ष एस्तेर हयात के मुताबिक,  प्रस्तावित संशोधन, “देश की कानूनी प्रणाली पर एक अनियंत्रित हमले जैसे होगा." और इससे न्यायिक प्रणाली की स्वतंत्रता खतरे में पड़ जाएगी. खास तौर से, इजरायल के न्याय मंत्री यारिव लेविन द्वारा पिछले सप्ताह पेश किए गए सुधारों का मकसद एक समीक्षा समिति के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के नामांकित व्यक्तियों में सुधार करना और संसद को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अस्वीकार करने का अधिकार देना है. 

फ़िलिस्तीनी झंडे हटाने के आदेश
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि वे इजरायल के भविष्य के लिए चिंतित हैं और नेतन्याहू को यह संदेश देने के लिए जमा हुए हैं कि जनता इस बात को बर्दाश्त नहीं करेगी कि वे इजरायल के लोकतंत्र को कमजोर करे. इससे पहले इतामार बेन-गवीर, इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री ने पुलिस को सार्वजनिक क्षेत्रों से फ़िलिस्तीनी झंडे हटाने के आदेश दिए थे. तेल अवीव में एक महत्वपूर्ण सरकार विरोधी प्रदर्शन के बाद कुछ प्रदर्शनकारियों द्वारा फिलिस्तीनी झंडे उठाने के बाद मंत्री ने ये आदेश दिया था. 

29 दिसंबर को पीएम के रूप में शपथ ली थी 
गौरतलब है कि लिकुड पार्टी के नेता बेंजामिन नेतन्याहू ने 2019 के बाद देश में पांच आम चुनावों के बाद राजनीतिक स्थिरता देने की उम्मीद में 29 दिसंबर को पीएम के रूप में शपथ ली थी. 73 वर्षीय नेतन्याहू ने इजरायल की संसद केसेट द्वारा अपनी नई सरकार में विश्वास मत हासिल करने के बाद शपथ ली थी. 120 सदस्यों में से 63 ने नई सरकार के पक्ष में मतदान किया था. नेतन्याहू के नेतृत्व वाली इजराइल में यह छठी सरकार है, जो देश के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले पीएम बने हुए हैं. अति-रूढ़िवादी पार्टियों के साथ लिकुड पार्टी के गठबंधन के बाद नई सरकार का गठन हुआ है. 

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