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कर्नाटक के ‘ईदगाह मैदान’ में होगा गणेश उत्सव का आयोजन; सरकार ने दी मंजूरी

Karnataka Ganesh Utsav in Eidgah Maidan:  कर्नाटक में वक्फ वोर्ड की खाली पड़ी जमीनों पर गणेश उत्सव के आयोजन को लेकर पिछने कुछ माह से सरकार, हिंदू संगठनों और वक्फ बोर्ड के बीच रस्साकशी की स्थिति बनी हुई है. इसमें एक एक मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है.

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ईदगाह मैदान
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Zee Media Bureau|Updated: Aug 31, 2022, 09:00 AM IST

हुबलीः कर्नाटक के हुबली-धारवाड़ नगर निगम ने यहां के लोकप्रिय ईदगाह मैदान (Eidgah Maidan) में तीन दिनों के लिए गणेश प्रतिमा स्थापित करने की अनुमति दे दी है. हुबली-धारवाड़ के महापौर इरेश अचंतगेरी ने निर्वाचित प्रतिनिधियों और अफसरों के साथ चली लंबी बैठक के बाद सोमवार देर रात इस फैसले की घोषणा की थी. उन्होंने बताया कि यह फैसला नगर निकाय द्वारा इस मुद्दे पर गठित सदन की समिति की सिफारिश पर लिया गया है. 

छह संगठनों ने ईदगाह मैदान में गणेश प्रतिमा स्थापित करने की इजाजत मांगी थी
महापौर ने कहा, ‘‘सदन की समिति ने कानूनी विशेषज्ञों से सलाह लेने के बाद गणेश उत्सव की इजाजत देने की सिफारिश की थी. इसे उत्सव को इजाजत देने की हिमायत में 28 और विरोध में 11 ज्ञापन मिले थे. उन्होंने बताया कि समिति की रिपोर्ट और लंबी चर्चा के बाद तीन दिन के लिए गणेश उत्सव की इजाजत देने का फैसला किया गया है. छह संगठनों ने ईदगाह मैदान में गणेश प्रतिमा स्थापित करने की इजाजत मांगी थी, जिनमें से एक को चुना गया और बाकी से सद्भावनपूर्वक तरीके से उत्सव मनाने में सहयोग करने की अपील की गई है. 

गौरतलब है कि नगर निगम ने यह फैसला निगम के कांग्रेस पार्षदों के विरोध के बावजूद लिया है. अफसरों ने बताया कि एक विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, मुस्लिम समुदाय को इस मैदान में साल में केवल दो बार नमाज पढ़ने की इजाजत दी जाती है, और नगर निगम स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर वहां राष्ट्र ध्वज फहराता है. 
 

सुप्रीम कोर्ट ईदगाह मैदान में गणेश उत्सव की अनुमति के मामले की सुनवाई कर रही है 
वहीं, एक अन्य मामले में कर्नाटक वक्फ बोर्ड ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें बेंगलुरु के चामराजपेट के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह की अनुमति दी गई थी. मंगलवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इसमें वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश कपिल सिब्बल ने कहा कि पिछले दो सौ सालो से यहां कोई धार्मिक गतिविधि नहीं हुई है.  वक़्फ़ एक्ट के तहत भी ये ज़मीन वक़्फ़ की है. कोर्ट ने पूछा था कि क्या इसके पहले यहाँ कभी इस तरह के धार्मिक आयोजन की अनुमति दी गयी थी, जिसके जवाब में सिबल ने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है. 

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