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देश में हर 42 मिनट में एक छात्र कर रहा है आत्महत्या; चिंता सिर्फ कोटा ही क्यों है ?

राजस्थान के कोटा में छात्रों के बढ़ते आत्महत्या के आंकड़ों ने हर किसी को डरा दिया है. इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट के संज्ञान लेने के बाद National council for protection of child rights (NCPCR) ने काउंसलिंग के तरीके और दूसरे सुझावों के साथ गाइडलाइंस तैयार की है.  क्या ये गाइडलाइंस अमल में लाई जाएंगी और कोचिंग इंडस्ट्री में और छात्र की ज़िन्दगी का ख्याल रखा जाएगा. देखें, इसपर हमारी संवाददाता पूजा मक्कड़ की ख़ास रिपोर्ट. 

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Hussain Tabish|Updated: Sep 11, 2023, 07:02 PM IST

नई दिल्ली: हर साल तकरीबन 2 लाख छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग की प़ढ़ाई के लिए कोटा पहुंचते हैं. डॉक्टर और इंजिनियर बनने का सपना लेकर यहाँ आने वाले काफी छात्र सफल भी होते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिन पर सफल होने के लिए घर- परिवार और कोचिंग इंस्टीट्यूट से मिलने वाला प्रेशर जान पर भी भारी पड़ जाता है. हर छात्र मानसिक तौर पर मजबूत हो ये ज़रुरी नहीं होता है. ऐसे में वह आत्महत्या जैसा गंभीर कदम तक उठा लेता है.   

कोटा की कोचिंग इंडस्ट्री 12 हज़ार करोड़ रुपए की है. यहां स्टूडेंस के लिए 4 हज़ार हॉस्टल और 40 हज़ार पेइंग गेस्ट रुम्स की व्यवस्था है. कोटा की इकॉनोमी इन छात्रों पर निर्भर है, लेकिन इनकी जान की कीमत कोई नहीं समझ पा रहा है. यहां 2023 में अब तक 24 सुसाइड हो चुके हैं.   राजस्थान पुलिस के डाटा के मुताबिक 2022 में 15 स्टूडेंट्स ने सुसाइड किया था.  2019 में 18 , 2018 में 20 , 2017 में 7,   2016 में 17, 2015 में 18 , और 2020 और 21 में कोरोना के लॉकडाउन वाले सालों में कोई सुसाइड रिपोर्ट नहीं हुआ था.  2015 में NCRB ने अपने डाटा में वॉर्निंग दी थी कि मरने वालों में 61 प्रतिशत छात्र कोचिंग सेंटर स्टूडेंट्स हैं.

वहीँ, राष्ट्रिय स्तर पर बात करें तो नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के 2020 के डाटा के मुताबिक देश में हर 42 मिनट में एक छात्र आत्महत्या कर लेता है, यानी हर दिन 34 छात्र अपनी जान दे रहे हैं. एक स्टडी के मुताबिक हर 10 में से 4 छात्र कोटा में डिप्रेशन के शिकार हैं.  

राजस्थान हाई कोर्ट के संज्ञान के बाद कोटा के स्टूडेंट्स की मानसिक हालत सुधारने के लिए गाइडलाइंस बनाई जा रही हैं.   National council for protection of child rights की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने इन गाइडलाइंस को तैयार किया है.  इसके मुताबिक हर कोचिंग सेंटर में एक काउंसलर होना ज़रुरी है.  

इस कमेटी ने पाया कि 18 वर्ष से कम उम्र के नाबालिग किशोर ज्यादा आत्महत्या के शिकार होने के खतरे पर हैं. इसी महीने गाइडलाइंस का ब्यौरा कोर्ट को सौंप दिया जाएगा. 

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