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Delhi Riots: शरजील इमाम की जमानत अर्जी का विरोध; HC में पुलिस ने की मुखालेफत

Sharjeel Imam Bail: दिल्ली पुलिस ने राजधानी दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट हिस्से में 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगे के सिलसिले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) एक्ट के तहत गिरफ्तार छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम की जमानत अर्जी की दिल्ली हाईकोर्ट में मुखालेफत की.

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Delhi Riots: शरजील इमाम की जमानत अर्जी का विरोध; HC में पुलिस ने की मुखालेफत
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Sabiha Shakil|Updated: Mar 19, 2024, 08:43 PM IST

Delhi Riots 2020: दिल्ली पुलिस ने राजधानी दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट हिस्से में 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगे के सिलसिले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) एक्ट के तहत गिरफ्तार छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम की जमानत अर्जी की दिल्ली हाईकोर्ट में मुखालेफत किया. पुलिस ने शरजील इमाम की स्पीच को बुनियाद बनाया, जिसमें कथित तौर पर उसने अल्पसंख्यक तबके के लोगों को जमा किया और 'चक्का जाम' को मुखालेफत के तरीके के तौर पर प्रचारित किया जो पुरअमन मुखालेफत का कोई रास्ता नहीं था. शरजील इमाम, यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के फाउंटर खालिद सैफी और उमर खालिद समेत कई अन्य लोगों पर फरवरी 2020 के सांप्रदायिक दंगे का कथित मास्टरमाइंड होने पर आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी UAPA और भारतीय दंड संहिता के अलग-अलग प्रावधानों के तहत केस दर्ज किया गया है.

फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोगों की जान चली गई थे और 700 से ज्याद लोग जख्मी हुए थे. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के खिलाफ एहतेजाज के दौरान हिंसा भड़क गई थी. विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने दलील दी कि, एहतेजाज उस वक्त के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत दौरे के वक्त हिंसा पैदा करने की साजिश का हिस्सा था. उन्होंने कहा कि, शरजील इमाम ने अपने पब्लिक रैलियों में कार्ययोजना के तौर पर 'चक्का जाम' का प्रचार किया और कहा कि टकराव वाली हिंसा तो होनी ही है.

प्रसाद ने कहा कि, शरजील इमाम के तकरीर से उकसाया नजर आ रहा था. सभी स्पीच एक जैसी हैं. सब कुछ चक्का जाम, बाबरी, तीन तलाक, CAA और धारा 370 के बारे में है. इससे पहले शरजील इमाम की पैरवी करते हुए सीनियर वकील नित्या रामकृष्णन ने दलील दी थी कि उनके मुवक्किल के कथित भड़काऊ तकरीरों में किसी भी तरह की हिंसा की अपील नहीं की गई थी. क्योंकि रूकावट डालने का उनका तरीका पूरी तरह से गांधीवादी था. अधीनस्थ अदालत ने 11 अप्रैल, 2022 को 25 अगस्त, 2020 को दर्ज मामले में गिरफ्तार इमाम को जमानत देने से इनकार कर दिया था. वह हिंसा से जुड़े कई मामलों में जनवरी 2020 से ही जेल में है. इमाम की जमानत अर्जी पर बुधवार को भी सुनवाई जारी रहेगी. 

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