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बिहार के इस गाँव में मुस्लिम परिवार के बिना अधूरा रहता है छ्ठ; इस तरह देता है अपना सहयोग

Chhath Puja 2023: हिंदू परंपराओं के मुताबिक छठ पूजा के खरना में मिट्टी के चूल्हा पर खाना बनाना होता है. इसी वजह से खाना बनाने में उपयोग की जाने वाली चूल्हे की मांग बाजारों में बढ़ जाती है, लेकिन इस दौरान शहर के रहने वाले मो. कासिम और उनकी बीवी नूर जहां साथ ही मो. रबनी खातून द्वारा बनाए गए चूल्हों की भी मांग बढ़ जाती है.  

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बिहार के इस गाँव में मुस्लिम परिवार के बिना अधूरा रहता है छ्ठ; इस तरह देता है अपना सहयोग
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Md Amjad Shoab|Updated: Nov 16, 2023, 06:35 PM IST

Bihar News: भारत अलग-अलग कल्चर और विविधातओं से भरा हुआ देश है, जो यहां की खूबसूरती भी है. यहां पर सभी धर्मों के लोग के दूसरे त्योहार को खूब धूम-धाम से मनाते हैं.  होली, दिवाली हो या ईद सभी इस त्योहार को बड़ी हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. लेकिन कुछ ऐसी खबर भी आए दिन आती रहती है तो जो गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करते हैं. ऐसा ही एक खबर बिहार के कटिहार जिले से आई है, जहां छठ पूजा को लेकर एक मुस्लिम परिवार चर्चाओं में बना हुआ है.

हिंदू परंपराओं के मुताबिक छठ पूजा के खरना में मिट्टी के चूल्हा पर खाना बनाना होता है. इसी वजह से खाना बनाने में उपयोग की जाने वाली चूल्हे की मांग बाजारों में बढ़ जाती है, लेकिन इस दौरान शहर के रहने वाले मो. कासिम और उनकी बीवी नूर जहां साथ ही रबनी खातून द्वारा बनाए गए चूल्हों की भी मांग बढ़ जाती है. इस परिवार के द्वारा बनाए गए चूल्हों की छठ व्रतियों में खास मांग रहती है. इनसे चूल्हा खरीदने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं . इसलिए ये परिवार छठ पूजा के एक महीने पहले ही चूल्हा बनाने लगते हैं.                 

20 सालों से बना रहे हैं चूल्हा
मो. कासिम और उनका परिवार पिछले 20 साल इस काम लगा हुआ है. इस मुस्लिम परिवार को इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है. ये लोग छठ पर्व पर श्रद्धा से छठ व्रतियों के लिए चूल्हा बनाते हैं. छठ खत्म होते ही सभी लोग अपने-अपने काम में मशरूफ हो जाते हैं. विधवा रबीना खातून के पति का इंतकाल 6 साल पहले हो गया था, जिसके बाद चूल्हा बनाने की जिम्मेदारी रबीना ने उठाई. जबकि रबनी खातून भी पिछले 20 साल इस काम से जुड़ी हुई हैं, पति के इंतकाल के बाद रबनी ने इस का काम का जिम्मा उठाया. 

धर्म ने कभी नहीं डाला है बाधा
छठ पर्व पर हर साल आस्था के साथ के साथ मिट्टी के चूल्हे बनाने वाली रबनी खातून कहती हैं कि मुझे इस त्योहार पर चूल्हा बनाने में बहुत खुशी होती है. सभी लोगों ने इस काम में बहुत सहयोग किया है, कभी भी धर्म बाधा नहीं बनी है. जबकि चूल्हा खरीदने वाले छठ व्रती कहते हैं कि छठ की यह सबसे बड़ी खासियत है, जो सभी धर्मों को एक धागे में पिरोता है.

 

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