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क्या 16 साल की नाबालिग़ मुस्लिम लड़की को अपनी मर्ज़ी से शादी करने का अधिकार है? अब सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

Minor Muslim Girl Marriage: इस वक़्त पूरे मुल्क में इस बात पर बहस चल रही है कि क्या 16 साल की नाबालिग़ मुस्लिम लड़की को शादी करने का हक़ है? अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. 7 नवंबर को इस मामले की सुनवाई की तारीख़ तय की गई है. 

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क्या 16 साल की नाबालिग़ मुस्लिम लड़की को अपनी मर्ज़ी से शादी करने का अधिकार है? अब सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
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Sabiha Shakil|Updated: Oct 18, 2022, 01:43 PM IST

Minor Muslim Girl Marriage: इस समय पूरे मुल्क में इस बात पर बहस जारी है कि क्या 16 साल की नाबालिग़ मुस्लिम लड़की को शादी करने का अधिकार है? अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. यह मामला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एक फैसले से जुड़ा है. हाईकोर्ट ने इस फैसले में अपनी मर्ज़ी से 16 साल की मुस्लिम लड़की की शादी को मंज़ूरी दी थी. फैसले में कहा गया था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में प्यूबर्टी के बाद लड़कियों की शादी को सही माना गया है. सुप्रीम कोर्ट नाबालिग़ मुस्लिम लड़कियों की शादी से जुड़े एक अहम मामले पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है.

पूरे मामले को समझिए

इस पूरा मामला उस वक़्त सुर्ख़ियों में आया जब 16 साल की नाबालिग़ मुस्लिम लड़की ने 21 साल के लड़के से शादी रचा ली. परिवार ने शादी पर ऐतराज़ ज़ाहिर किया तो मामला कोर्ट पहुंचा और 13 जून को हाईकोर्ट ने इस शादी को सही क़रार दिया.. कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत शादी को मंज़ूरी देते हुए कहा कि लड़की फिज़ीकली कंडीशन अब इस हालत में पहुंच चुकी है कि उसे शादी करने का हक़ है.

हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए मुस्लिम क़ानून की बुक 'प्रिंसिपल्स ऑफ़ मोहम्मडन लॉ' के आर्टिकल 195 का ज़िक्र किया. इसके अलावा ऐसे ही एक और मामले पर बहस की जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट ने 15 साल की मुस्लिम लड़की और 21 साल के मुस्लिम लड़के की शादी को मंज़ूरी दी थी. यह फैसला तब दिया गया है जब लड़की के घरवालों ने लड़के के परिवार पर अग़वा और रेप का मामला दर्ज कराया था.

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सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

इस मामले को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने ऐतराज़ ज़ाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी लगाकर सुनवाई की मांग की. सिर्फ इतना ही नहीं, लड़की के घरवाले भी इस शादी को ग़लत बताते हुए इसकी मुख़ालेफत कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने एनसीपीसीआर की अपील पर वकील आर . राजशेखर राव को कोर्ट सलाहकार नियुक्त किया है.

 7 नवंबर को होगी सुनवाई

वहीं अब इस पूरे मामले को लेकर NCPCR की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी बात पेश की. उनका कहना है कि यह एक संजीदा मामला है. हाईकोर्ट के तब्सिरे के फैसले का असर बाल विवाह और पॉक्सो एक्ट पर पड़ सकता है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर को होगी.

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