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अरविंद केजरीवाल जेल से फिलहाल नहीं आएंगे बाहर, ED की याचिका पर HC का फैसला सुरक्षित

 Arvind Kejriwal:  सीएम अरविंद केजरीवाल अभी जेल से बाहर नहीं आएंगे.  प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.  इससे पहले गुरुवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने शराब घोटाले केस में केजरीवाल को नियमित जमानत दी थी.

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अरविंद केजरीवाल जेल से फिलहाल नहीं आएंगे बाहर, ED की याचिका पर HC का फैसला सुरक्षित
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Md Amjad Shoab|Updated: Jun 21, 2024, 05:22 PM IST

Arvind Kejriwal: आम आदमी पार्टी के समर्थकों और नेताओं के लिए अच्छी खबर नहीं है. सीएम अरविंद केजरीवाल अभी जेल से बाहर नहीं आएंगे. दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. जबकि इससे पहले गुरुवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने शराब घोटाले केस में केजरीवाल को नियमित जमानत दी थी.

हालांकि, निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ शुक्रवार को ED ने दिल्ली हाईकोर्ट का रूख किया जहां अब हाईकोर्ट ने केजरीवाल की जमानत पर अगली सुनवाई तक फैसला सुरक्षित रख लिया है. इसलिए केजरीवाल को कुछ दिन और जेल में गुजराने होंगे. रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट दो से तीन दिनों अपना फैसला सुना सकता है.

जस्टिस सुधीर कुमार जैन की बेंच ने कहा कि ईडी की स्टे एप्लीकेशन पर आदेश सुनाने में दो-तीन दिन लगेंगे. अदालत ने आदेश में कहा, "इस बीच याचिकाकर्ता और प्रतिवादी सोमवार तक लिखित दलीलें दाखिल करने के लिए स्वतंत्र होंगे."

अदालत ने ईडी के स्टे एप्लीकेशन और आम आदमी पार्टी संयोजक को जमानत देने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर भी नोटिस जारी किया.  सुनवाई के दौरान ईडी के वकील एसवी राजू ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को 'असंतुलित' और 'एकतरफा' बताया. 

वहीं, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया,  "दस्तावेजों पर विचार किए बिना मामले का फैसला किया गया है. दस्तावेज़ों पर विचार किए बिना, आप इस निष्कर्ष पर कैसे पहुँच सकते हैं कि वे प्रासंगिक या अप्रासंगिक हैं. दस्तावेज़ों का अध्ययन किए बिना, आप कहते हैं कि वे "अप्रासंगिक" हैं. यहां तक ​​कि यह भी विकृत है."

अरविंद केजरीवाल की तरफ से सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील देते हुए कहा कि ED पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है. उन्होंने कहा, "जमानत की सुनवाई कैसी होनी चाहिए, इस बारे में गलत धारणा है. सिर्फ इसलिए कि इसमें सियासी खिलाफ शामिल है और अगर जज द्वारा सभी कॉमा आदि का निपटारा नहीं किया जाता है, तो इससे राजू को न्यायाधीश को बदनाम करने का हक मिल जाता है. यह निंदनीय है. यह कभी भी सरकारी अफसर की तरफ से नहीं आना चाहिए था. ED पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है."

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