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ईरान से भारत के चाबहार डील पर क्यों लोट रहा अमेरिका के कलेजे पर सांप; मध्य एशिया में बिगड़ेगा खेल!

Chabahar Port News: चाबहार बंदरगाह ईरान के पाकिस्तान से सटे सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत का एक डीप वॉटर पोर्ट है. ईरान का यह पोर्ट भारत के सबसे करीब है और यहां बड़ा से बड़ा कार्गो शिप आसानी से जा सकता है. वहीं, इस डील को चीन के बनाए जा रहे ग्वादर पोर्ट के जवाब में देखा जा रहा है. 

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ईरान से भारत के चाबहार डील पर क्यों लोट रहा अमेरिका के कलेजे पर सांप; मध्य एशिया में बिगड़ेगा खेल!
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Taushif Alam|Updated: May 14, 2024, 08:02 PM IST

Chabahar Port News: गाजा हिंसा के बीच ईरान और भारत ने चाबहार बंदरगाह को लेकर बड़ा समझौता किया है. इस डील के बाद भारत को चाबहार पोर्ट के संचालन के लिए दस साल का अधिकार मिल गया है. भारत-ईरान के चाबहार बंदरगाह समझौते के बाद अमेरिका बुरी तरह भारत पर भड़क गया है. अमेरिका ने भारत को धमकी देते हुए कहा, "ईरान के साथ डील करने वाले को प्रतिबंध से सावधान रहना चाहिए." 

अमेरिका ने क्या कहा?
विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा, "कोई भी जो ईरान के साथ व्यापार सौदा कर रहा है, उन्हें उन संभावित प्रतिबंधों के खतरों के बारे में पता होना चाहिए, जिसके वे करीब जा रहे हैं."

क्या है पूरा मामला
दरअसल, चाबहार बंदरगाह ईरान के पाकिस्तान से सटे सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत का एक डीप वॉटर पोर्ट है. ईरान का यह पोर्ट भारत के सबसे करीब है और यहां बड़ा से बड़ा कार्गो शिप आसानी से जा सकता है. वहीं, इस डील को चीन के बनाए जा रहे ग्वादर पोर्ट के जवाब में देखा जा रहा है. भारत और ईरान की डील से सिर्फ अमेरिका को ही मिर्ची नहीं लगी है, बल्कि इस डील से चीन और पाक्सितान को भी झटका लगा है. 

पाकिस्तान पर खत्म हो जाएगी निर्भरता
गौरतलब है कि चीन और पाक का ग्वादर पोर्ट समुद्री रास्ते से चाबहार बंदरगाह से सिर्फ 172 केलोमीटर दूर है. पाकिस्तान में चीन ग्वादर पोर्ट बनाकर अपना दबदबा बनाना चाहता है. ऐसे में ईरान के चाबहार बंदरगाह का संचालन भारत के पास होना काफी फायदेमंद है. कारोबार के लिहाज से भारत की पाक पर निर्भरता खत्म हो जाएगी और भारत यहां से पाक और चीन के गठजोर को करारा जवाब देगा.

ईरान के साथ भारत की यह डील रणनीतिक रूप से बेहद अहम है. इस बंदरगाह के संचालन से पाक को दरकिनार करते हिए मध्य एशिया तक इंडिया की राह आसान हो जाएगी. ईरान के साथ यह डील क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और अफगानिस्तान, मध्य एशिया और यूरेशिया के साथ भारत के संबंधों को बढ़ावा देगा. 

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