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Sheikh Hasina: 49 साल पहले शेख हसीना के पूरे परिवार की हुई थी हत्या, तब इंदिरा गाँधी ने दी थी शरण

Sheikh Hasina News: 5 बार और 2009 के बाद लगातार बांग्लादेश की प्रधामंत्री रही शेख हसीना ने देश में सरकार के खिलाफ भारी विरोध- प्रदर्शन के बाद अपना इस्तीफ़ा देकर भारत आ गई हैं, और जहाँ से दो दिन बाद वो लंदन चली जायेंगी. ये दूसरा मौका है जब भारत ने शेख हसीना को मुश्किल वक़्त में देश में शरण दिया है. इससे पहले 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद 1975 में सैन्य तख्तापलट में शेख हसीना के पिता समेत जब उनका पूरा परिवार मारा गया था, तो उस वक़्त भी प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने उन्हें भारत में शरण दिया था.

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Sheikh Hasina: 49 साल पहले शेख हसीना के पूरे परिवार की हुई थी हत्या, तब इंदिरा गाँधी ने दी थी शरण
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Md Amjad Shoab|Updated: Aug 05, 2024, 05:55 PM IST

Sheikh Hasina Profile: बांग्लादेश की पूर्व  प्रधामंत्री शेख हसीन ने भारी हिंसा के बीच देश छोड़ दिया है.  वे सेना के स्पेशल हेलीकॉप्टर से भारत आ गई हैं, और यहाँ से लन्दन के लिए रवाना होंगी. इसी बीच, बांग्लादेशी सेना ने घोषणा की है कि वे देश की सभी पार्टियों के साथ मिलकर बैठक करेंगे और हालात पर चर्चा करेंगे. शेख हसीना लंबे वक्त से प्रधानमंत्री के पद पर काबिज़ थीं.  

शेख हसीना बांग्लादेश के फाउंडर शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं, जो 1975 में परिवार के ज्यादातर सदस्यों के साथ एक सैन्य तख्तापलट में मारे गए थे, लेकिन शेख हसीना और उनकी बहन रेहाना उस वक्त जर्मनी में थी, इसलिए जिंदा बच गईं. 

जब इंदिरा गांधी ने दिया था शरण
शेख हसीना जर्मनी में बांग्लादेश के राजदूत हुमांयु रशीद चौधरी से कॉन्टैक्ट किया था. हुमांयु का भारत के कई राजनायिकों के साथ अच्छा संबंध था. उन्होंने भारत के राजदूत वाई के पुरी से शेख हसीना और उनकी बहन को राजनीतिक शरण देने की सिफारिश की जिसकी भनक तत्कालीन पीएम इंदिर गांधी को लगी. इंदिरा गांधी ने तुरंत शेख हसीना और उनकी बहन को भारत बुला लिया. अब शेख हसीना ने फिर से देश में बढ़ते हुए हिंसा को देखते हुए दो दिनों के लिए भारत आईं हैं.

बांग्लादेश अगले 15 सालों तक सेना के कब्जे में रहा. 76 साल की हसीना पहली बार 1996 में पीएम बनीं थीं, और 2001 तक अपने कार्यकाल संभालीं. इसके बाद वह 2009 में दोबारा पीएम बनीं, तब से लेकर  हसीना इस पद के लिए कुल मिलाकर पांच बार चुनी जा चुकीं हैं.

शेख हसीना ने रोहिंग्या मुसलमानों को दिया था आश्रय 
पिछले 15 सालों में, हसीना को बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था और विशाल कपड़ा उद्योग को बदलने का श्रेय दिया जाता है. साथ ही शेख हसीना को पड़ोसी देश  म्यांमार में उत्पीड़न से भाग रहे लगभग १० लाख रोहिंग्या मुसलमानों को आश्रय देने के लिए इंटरनेशनल लेवल पर काफी प्रशंसा हासिल हुई है.

शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने 12 जून, 1996 को  बांग्लादेश आम चुनाव में शानदार जीत हासिल की और देश की प्रधानमंत्री बनीं. शेख़ हसीना ने 23 जून, 1996 को देश की पीएम पद के रूप में शपथ ली थी. इससे पहले 1973 अवामी लीग को बहुमत से 5 सीटें कम मिली थी. जिसके चलते बांग्लादेश में गठबंधन की सरकार बनीं. 

USA प्रेसिडेंट ने शेख हसीना को 150 मिलियन डॉलर की मदद की थी 
शेख हसीना पीएम बनने के बाद पहली बार मार्च 2000 में तत्कालीन यू.एस. राष्ट्रपति बिल क्लिंटन बांग्लादेश के ऐतिहासिक दौरे पर आए.  क्लिंटन का यह दौरा काफी अहम , क्योंकि उनका यह दौरा दक्षिण एशियाई देश के साथ आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए था. परिणामस्वरूप  क्लिंटन ने बांग्लादेश को 150 मिलियन डॉलर की सहायता देने का वादा किया. 

16 जून 2001 को एक इलेकशन कैंपेन हुए एक बम विस्फोट में कम से कम 22 लोग मारे गए. यह विस्फोट राजधानी ढाका से 16 किलोमीटर दूर नारायणगंज में अवामी लीग पार्टी की बैठक में हुआ था.  इसके दो महीने बाद शेख हीसना को तगड़ा झटका लगा. वह अक्टूबर 2001 में हुए आम चुनाव में चुनाव हार गईं.  लेकिन चुनाव हारने के बाद भी शेख हसीना पर कई आरोप लगे. इसी में से एक आरोप चुनाव में धांधली करने का था, जिसे बांग्लादेश की तत्कालीन नई प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया और उनके इस्लामी सहयोगियों ने लगाया था.

प्रतिबंध के हटने के बाद शेख हसीना दोबारा बनीं पीएम
हसीना के ऊपर लगे संक्षिप्त प्रतिबंध को मई 2007 में हटा दिया गया. इसके बाद वह विदेश से 7 मई, 2007 को ढाका पहुंचीं. लेकिन पुलिस ने जुलाई 2007 में हसीना को अदालत के आदेश के बाद हिरासत में ले लिया. उनकी यह गिरफ्तारी  जबरन वसूली के आरोप और 1996 से 2001 तक उनके कार्यकाल से संबंधित अन्य भ्रष्टाचार के आरोपों के सिलसिले में किया गया था. इस केस जमानत मिलने के बाद वह अपना इलाज कराने के लिए लंदन चली गईं.  

आवामी लीग के नेता हसीना  2008 हुए आम चुनाव में मतदान करने के लिए स्वदेश लौटी. 2008 में हुए इस संसदीय चुनाव में शेख हसीना ने फिर से शानदार जीत दर्ज की.  उन्होंने 6 जनवरी, 2009 को प्रधानमंत्री के रूप में दोबारा शपथ ली. शेख हसीना को तत्कालीन बांग्लादेशी राष्ट्रपति इयाउद्दीन अहमद ने शपथ दिलाई.

शेख हसीना ने चीन के साथ किया ये समझौता 
हसीना ने पीएम पद की शपथ लेने के बाद 2010 में कम्युनिस्ट देश की पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा के लिए चीन की यात्रा की और वहां के सीनियर नेताओं से मुलाकात की. उन्होंने ने इस दौरे पर चीन से सहयोग और क्षेत्रीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए कहा. जिसको लेकर चीन के तत्कालीन राष्ट्रपति हू जिंताओ ने पीएम हसीना से हाथ मिलाया. वहीं, हसीना ने 20 सितंबर, 2010 को  संयुक्त राष्ट्र के इंटरनेशनल बैठक में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने बांग्लादेश के विकास और समुद्र-संकटग्रस्त देश की खोज में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरे के बारे में चेतावनी दी.

शेख हसीना ने  16 जून 2015 को बांग्लादेश और भारत के बीच 4,000 किलोमीटर (2,500 मील) सीमा को सरल बनाने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए.हसीना और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस हस्ताक्षर के गवाह बने.

इस समझौते की बदौलत दोनों देश लगभग 200 छोटे परिक्षेत्रों की अदला-बदली करेंगे, जिनके निवासी सार्वजनिक सेवाओं से वंचित हैं. भारतीय विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर और तत्कालीन बांग्लादेशी विदेश मंत्री शाहिदुल हक दस्तावेजों का आदान-प्रदान किए.

हिंसा में अब तक 500 लोगों की मौत
शेख हसीना ने अप्रैल 2024 में बैंकॉक में थाईलैंड की प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन से मुलाकात की, जहां दोनों देशों ने व्यापार, पर्यटन और ऊर्जा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए. इस दौरान हसीना ने भाषण में सरकारी नौकरियों में कोटा के खिलाफ हाल ही में छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शन के दौरान देश में हुई घातक हिंसा के लिए अपने राजनीतिक विरोधियों को दोषी ठहराया. हालांकि, उन्होंने 22 जुलाई, 2024 को कहा कि स्थिति में सुधार होने पर कर्फ्यू हटा लिया जाएगा."

लेकिन इसके बाद भी बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन कमी नहीं आई. अब तक इस प्रदर्शन में  500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. रिजर्वेशन के खिलाफ में शुरू हुआ यह विरोध प्रदर्शन अब पूरी तरह से हिंसा में तब्दील हो चुका है. सिर्फ 4 अगस्त को हुई हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सेना और पुलिस ने बल का प्रयोग किया जा रहा है. इंटरनेट पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है, साथ ही देश मेंअनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया है.

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