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दर्जनों देशों ने UN में की सऊदी अरब की आलोचना, औरतों और मौत से जुड़ा है मामला

Saudi in UN: सऊदी अरब पर इल्जाम है कि उसके यहां मानवाधिकारों का अल्लंघन होता है. उसके यहां औरतों पर पाबंदी है. इसलिए कई देशों ने संयुक्त राष्ट्र में सऊदी की आलोचना की है.

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दर्जनों देशों ने UN में की सऊदी अरब की आलोचना, औरतों और मौत से जुड़ा है मामला
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Siraj Mahi|Updated: Jan 23, 2024, 01:37 PM IST

Saudi in UN: संयुक्त राष्ट्र में हाल ही में सऊदी अरब की आलोचना की गई. सऊदी अरब पर इल्जाम है कि यहां बड़े पैमाने पर मानवाधिकार का हनन होता है. इल्जाम यह भी है कि यहां औरतों की आजादी पर पाबंदी है. बोलने की आजादी नहीं है. अगर कोई बोलता है तो उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जाता है. इसके अलावा यहां बड़े पैमाने पर लोगों को मौत की सजा दी जाती है. 

सऊदी ने दिया जवाब
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में राज्य की पहली औपचारिक समीक्षा में, सऊदी अरब प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि नवंबर 2018 के बाद से महिलाओं के पक्ष में 50 से अधिक सुधार पारित किए गए हैं. प्रतिनिधियों को बताया गया कि सऊदी अरब ने सजा के तौर पर कोड़े मारने की सजा को खत्म कर दिया है, अब नाबालिगों को फांसी नहीं दी जा सकती, न्यायाधीश स्वतंत्र हैं और प्रवासी श्रमिकों को अब कानून द्वारा बेहतर सुरक्षा दी जाती है. सऊदी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष हला अल तुवैजरी ने कहा, "ये तरक्की लगातार जारी है." उन्होंने सऊदी समाज को आधुनिक बनाने और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की तरफ से चलाए जा रहे अभियानों के बारे में बताया.

जर्मनी ने की आलोचना
UN में जर्मनी की प्रतिनिधि क्रिस्टीना हक ने महिलाओं के अधिकारों में सुधार के लिए सऊदी अरब की सराहना की, फिर भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सभा और प्रेस की स्वतंत्रता के अधिकार पर "गंभीर प्रतिबंध" के बारे में सऊदी की आलोचना की. 

सऊदी पर बरसा अमेरिका
अमेरिका ने कहा कि सऊदी सुरक्षा बल यमनी सीमा पार करने वाले प्रवासियों को मार रहे हैं और दुर्व्यवहार कर रहे हैं. सऊदी अरब से कहा गया था कि वह किसी भी दुर्व्यवहार को रोकें, किसी भी दुर्व्यवहार या उल्लंघन के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करें और एक सार्वजनिक जांच रिपोर्ट जारी करें.

ऑस्ट्रिया ने किया US का सप्रोर्ट
ऑस्ट्रिया ने प्रवासी हत्याओं के बारे में अमेरिकी चिंताओं का समर्थन किया और "पुरुष संरक्षकता के शेष विशेषाधिकारों को समाप्त करने की भी सिफारिश की जो अभी भी महिलाओं की प्रगति, सशक्तिकरण और समानता में बाधक हैं."

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