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हिजाब से पाबंदी हटाने में अड़चन! कर्नाटक गृहमंत्री ने कहा "इसके बाद लूंगा फैसला..."

Karnataka Hijab Row: कर्नाटक में हिजाब विवाद जारी है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने हिजाब से पाबंदी हटाने का ऐलान किया था. लेकिन अब इसमें नई अड़चन आ गई है. आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ.

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हिजाब से पाबंदी हटाने में अड़चन! कर्नाटक गृहमंत्री ने कहा "इसके बाद लूंगा फैसला..."
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Siraj Mahi|Updated: Dec 25, 2023, 12:50 PM IST

Karnataka Hijab Row: कर्नाटक में हिजाब प्रतिबंध पर चल रही बहस के बीच राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा है कि सरकार इस मामले को 'गहराई से' देखने के बाद प्रतिबंध हटाने पर फैसला करेगी. जी परमेश्वर ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, "हमने हिजाब को लेकर कोई आदेश नहीं दिया है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने खुद कहा है कि अगर ऐसा किया भी गया तो हम इसकी जांच करेंगे. सरकार इस पर गहराई से विचार करने के बाद फैसला लेगी."

कर्नाटक में उस समय राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया जब सिद्धारमैया ने कहा कि उनकी सरकार राज्य में स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेश को वापस ले लेगी. ये बयान शुक्रवार, 22 दिसंबर को एक सार्वजनिक बैठक के दौरान दिए गए थे. 

उस वक्त मुख्यमंत्री ने जनसभा में कहा था कि "कपड़ों का चयन करना किसी का अपना विशेषाधिकार है. मैंने हिजाब प्रतिबंध को वापस लेने का निर्देश दिया है. पीएम मोदी का 'सब का साथ, सबका विकास' फर्जी है. भाजपा लोगों और समाज को कपड़े, पहनावे और जाति के आधार पर बांट रही है." 

सिद्धारमैया के बयान पर कर्नाटक बीजेपी की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई. बीजेपी नेता और पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई ने सिद्धारमैया पर अपनी सरकार की नाकामियों को छिपाने के साथ-साथ केवल राजनीतिक लाभ के लिए इस मुद्दे को उठाने का आरोप लगाया. उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि पूरे राज्य में हिजाब पर प्रतिबंध नहीं है लेकिन जहां ड्रेस कोड है वहां इसकी अनुमति नहीं है. मुस्लिम महिलाओं को हर जगह हिजाब पहनने की इजाजत है.

समाचार एजेंसी एएनआई ने उनके हवाले से कहा, "जब हिजाब पर प्रतिबंध नहीं है तो प्रतिबंध हटाने का सवाल ही कहां है." फरवरी 2022 में, राज्य के उडुपी जिले के एक सरकारी कॉलेज ने कक्षाओं के अंदर हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया.

बाद में, तत्कालीन बसवराज बोम्मई सरकार ने स्कूल-कॉलेजों के परिसरों के अंदर हिजाब पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि "किसी भी कपड़े जो समानता, अखंडता और सार्वजनिक कानून व्यवस्था को परेशान करेगा" की अनुमति नहीं दी जाएगी.

यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जिसने पिछले साल 13 अक्टूबर को खंडित फैसला सुनाया. इसके बाद खंडपीठ ने मुख्य न्यायाधीश से मामले को बड़ी पीठ के पास भेजने की गुजारिश की. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

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