trendingNow/zeesalaam/zeesalaam01781665
Home >>Muslim News

मस्जिद पर मंदिर होने का दावा, नमाज पर लगी पाबंदी, HC पहुंचा मामला

महाराष्ट्र के जलगांव में एक मस्जिद पर दावा किया गया है कि यह मस्जिद नहीं बल्कि मंदिर है. इसके बाद इस मस्जिद को आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है. इस पर मुस्लम संगठनों ने नाराजगी जताई है.

Advertisement
मस्जिद पर मंदिर होने का दावा, नमाज पर लगी पाबंदी, HC पहुंचा मामला
Stop
Zee Salaam Web Desk|Updated: Jul 16, 2023, 09:13 AM IST

महाराष्ट्र के जलगांव में मौजूद एक मस्जिद में नमाज पढ़ने पर रोक लगा दी गई है. इस मस्जिद पर कुछ लोगों ने दावा किया है कि यह मस्जिद नहीं बल्कि मंदिर है. एक हिंदू संगठन पांडववाड़ा संघर्ष समिति के मुताबिक एरंडोल में मौजूद यह मस्जिद दिखने में मंदिर जैसी है. इसके बाद इल्जाम लगाया गया कि मकामी मुसलमानों ने इस पर अतिक्रमण कर लिया है. जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद उनके पास साल 1861 से है. उनके पास इसका अस्तित्व दिखाने का रिकॉर्ड भी है. 

मस्जिद का मामला अब बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद की बेंच में पहुंचा है. यहां जुमा मस्जिद ट्रस्ट कमेटी ने मस्जिद में नमाज के लिए लगाई गई पाबंदी के खिलाफ याचिका दायर की है. जुमा मस्जिद ट्रस्ट कमेटी की तरफ से वकील एसएस काजी कयादत कर रहे हैं. उनका कहना है कि "आदालत ने निर्देश दिया है कि याचिका की एक प्रति मंदिर का दावा करने वाली समिति को भी दी जाए. अगली सुनवाई की तारीख 18 जुलाई तय की गई है."

इसी दिन जिला कलेक्टर भी मंदिर मस्जिद के विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों की सुनवाई करने वाले हैं. उनका कहना है कि "हमने अब तक अपना अंतिम आदेश पारित नहीं किया है. पहली सुनवाई में हमने कानू और व्यवस्था के उद्देश्य से अपना अंतरि आदेश पारित किया. 13 जुलाई को दूसरी सुनवाई दो घंटे से ज्यादा वक्त तक चली." वक्फ बोर्ड और मस्जिद ट्रस्ट के प्रतिनिधि मौजूद थे. उनकी बात सुनी गई. हमने अब अपनी अगली सुनवाई 18 जुलाई को बुलाई है."

हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद मंदिर है. यह 1980 के दशक से मंदिर ही है. उनका दावा है कि यह पांडवों से जुड़ा हुआ है. हिंदू पक्ष ने 18 मई को जिला कलेक्टर को आवेदन दिए. पांडववाड़ा संघस्ष समिति के अध्यक्ष प्रसाद मधुसूदन दांतवते की मांग है कि "मस्जिद के अवैध निर्माण को हटा दिए जाए, वह प्राचीन स्मारक एक मंदिर जैसा दिखता है."

11 जुलाई को प्रसाशन ने मस्जिद में आम लोगों के जाने पर रोक लगा दी थी. इसके बाद मस्जिद के ट्रस्टियों से चाबियां ले ली गई थीं. हालांकि मस्जिद में दो लोगों के इबादत करने के लिए इजाजत दी गई है. कलेक्टर का कहना है कि "मस्जिद की चाबियां तहसीलदार द्वारा ले ली गई है. हालांकि जो दो शख्स नमाज अदा करना चाहते हैं वे वहां मौजूद सरकारी कर्मियों से चाबी ले सकते हैं."

जुमा ट्रस्ट कमेटी के अध्यक्ष का कहना है कि "कलेक्टर अर्जी दाखिल करने वालों से कुछ भी सुनने के मूड में नहीं है. उन्होंने 11 जुलाई 2023 को याचिकाकर्ता को कोई अवसर दिए बिना ही दंड संहिता की धारा  144 और 145 के तहत एक आदेश पारित कर दिया." महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड ने फैसले पर आपत्ति जताई है.

Read More
{}{}