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कोर्ट में आज भी दाखिल नहीं हो सकी ज्ञानवापी सर्वे रिपोर्ट; ASI ने मांगा इतने दिन का वक्त

Gyanvapi Mosque Update: ASI ने वाराणसी में मौजूग ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ी सर्वे रिपोर्ट को दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा है. इससे पहले इस रिपोर्ट को आज यानी 11 दिसंबर को दाखिल की जानी थी. ये रिपोर्ट वाराणसी की अदालत में पेश की जानी है. 

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कोर्ट में आज भी दाखिल नहीं हो सकी ज्ञानवापी सर्वे रिपोर्ट; ASI ने मांगा इतने दिन का वक्त
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Taushif Alam|Updated: Dec 11, 2023, 05:51 PM IST

Gyanvapi Mosque Update: भारतीय पुरातत्व सर्वे विभाग (ASI) ने वाराणसी में मौजूग ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ी सर्वे रिपोर्ट को दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने मीडिया से बात करते हुए इस खबर की तस्दीक की है. उन्होंने कहा, “आज ASI ने अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा है क्योंकि एएसआई के सुपरिंटेंडेंट इस समय हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे हैं. मैं उम्मीद करता हूं कि अगले हफ़्ते तक रिपोर्ट अदालत में पेश कर दी जाएगी.”

इससे पहले इस रिपोर्ट को आज यानी 11 दिसंबर को दाखिल की जानी थी. ये रिपोर्ट वाराणसी की अदालत में पेश की जानी है. अदालत ने पिछली सुनवाई के दौरान 10 दिन के अंदर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था, लेकिन ये रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई है. हालांकि अब कोर्ट ने 18 दिसंबर को ASI को सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने के लिए चौथी बार ये वक्त बढ़ाया गया है. 

इससे पहले कोर्ट ने 30 नवंबर को ASI को ज्ञानवापी सर्वे पूरा करने और रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 10 दिन का वक्त दिया था. जानकारी के मुताबिक, पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने ASI को फटकार लगाई थी, क्योंकि इससे पहले भी ASI तीन बार वक्त बढ़ाने की मांग कर चुका था. ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे 4 अगस्त को शुरू किया गया था, लेकिन ये सर्वे मस्जिद के वुजु़खाना इलाके में नहीं होगा. इसे SC के आदेश से सील कर दिया गया है. 

वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 8 दिसंबर को विश्वेश्वर मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने इस विवाद के मामले की सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों की दलीलें सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रखा है. इस मामले को लेकर वाराणसी की अंजुमन इंतेजामिया कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने साल 1991 में वाराणसी की कोर्ट में दायर मूल वाद की पोषणीयता को चुनौती दी थी.

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