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मजार और लाक्षागृह विवाद पर कोर्ट का बड़ा फैसला; हिंदू पक्ष को दिया मालिकाना हक

Baghpat News: दरअसल, बरनावा में मौजूद लाक्षागृह और मजार को लेकर 1970 से कोर्ट में विवाद चल रहा था. मुस्लिम पक्ष ने लाक्षाग्रह मौजूद एक ढांचे को मजार और कब्रिस्तान बताते हुए कोर्ट में वाद दायर किया था. 

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मजार और लाक्षागृह विवाद पर कोर्ट का बड़ा फैसला; हिंदू पक्ष को दिया मालिकाना हक
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Taushif Alam|Updated: Feb 06, 2024, 03:38 PM IST

Baghpat News: उत्तर प्रदेश के बागपत सिविल कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. जहां, सिविल कोर्ट ने लाक्षागृह और मजार विवाद पर फैसला सुनाते हुए 5 फरवरी को हिंदू पक्ष को मालिकाना हक दे दिया है. जिसके बाद बागपत के बरनावा लाक्षागृह पर भारी पुलिस बल को तैनात किया गया है. 

क्या है पूरा मामला
दरअसल, बरनावा में मौजूद लाक्षागृह और मजार को लेकर 1970 से कोर्ट में विवाद चल रहा था. मुस्लिम पक्ष ने लाक्षाग्रह मौजूद एक ढांचे को मजार और कब्रिस्तान बताते हुए कोर्ट में वाद दायर किया था. यह मुकदमा 1970 में मेरठ कोर्ट में चल रहा था, लेकिन बागपत कोर्ट बनने के बाद यह मुकदमा यहां चल रहा था. जिसे 5 फरवरी को सिविल कोर्ट बागपत ने खारिज कर दिया. 

कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के दावे को किया खारिज
बागपत सिविल कोर्ट के जज शिवम द्विवेदी ने कहा कि महाभारत कालीन लाक्षागृह पर मुस्लिम सूफी बदरुद्दीन की कोई मजार नहीं है. यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष का दावा खारिज कर दिया. जिसके बाद हिंदू पक्ष को पूरे लाक्षा गृह का मालिकाना हक मिल गया है. कोर्ट के फैसले की संवेदनशीलता को देखते हुए आज लाक्षाग्रह पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है.

हिंदू पक्ष ने क्या कहा?
हालांकि, कोर्ट के फैसले का मुस्लिम पक्ष ने विरोध नहीं किया है. वहीं, हिंदू पक्ष ने इस फैसले का स्वागत किया है. कोर्ट के फैसले पर हिंदू पक्ष के पैरोकार विजयपाल कश्यप ने कहा, लाक्षागृह को लेकर हिंदू-मुस्लिम के बीच 1970 से केस चल रहा था. मुस्लिम पक्ष वहां पर अपना कब्रिस्तान और मजार होने का दावा कर रहा था. अदालत ने आज हमारे पक्ष में फैसला सुनाया है." 

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