trendingNow/zeesalaam/zeesalaam01812461
Home >>Muslim News

ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे पर आया मुस्लिम पर्सनल लॉ का रिएक्शन, कहा- बाबरी मस्जिद की तरह यहां भी...

Gyanvapi Mosque: ज्ञानवापी मस्जिद में ASI सर्वे हो रहा है. इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उसने सर्वे के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अफसोसनाग बताया है.

Advertisement
ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे पर आया मुस्लिम पर्सनल लॉ का रिएक्शन, कहा- बाबरी मस्जिद की तरह यहां भी...
Stop
Siraj Mahi|Updated: Aug 06, 2023, 01:05 PM IST

Gyanvapi Mosque: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मौजूद गयान वापी मस्जिद का ASI सर्वे कराया जा रहा है. इस सर्वे यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कहीं ये मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर तो नहीं बनाई गई है. इस मामले पर ऑल इंडिया मुस्लिम इससे पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आश्चर्यजनक और दुखद है. 

बोर्ड का कहना है कि "उम्मीद थी कि मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रा वाली की पीठ पूजा स्थलों से संबंधित कानून के उजाले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाएगी लेकिन अदालत ने इसके उलट फैसला दिया जो बेहद दुखद और निराशाजनक है. इससे ऑल इंडिया मुस्लिम इससे पर्सनल लॉ बोर्ड और मुसलमानों को गहरी निराशा हुई है. उम्मीद है कि अब पूजा स्थलों से जुड़े कानून के उल्लंघन के लिए दरवाजे यहां के दरवाजे खुल जायेंगे.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने एक प्रेस बयान में कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला एकतरफा और पक्षपातपूर्ण था और उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट संबंधित कानून के मद्देनजर इस पर रोक लगाएगा. पूजा स्थलों पर भी रोक लगाई जाएगी. हालांकि, ऐसा नहीं हुआ. जिस वक्त पूजा स्थलों पर कानून लाया गया था, उस समय पूरे देश को यह आश्वासन दिया गया था कि बाबरी मस्जिद विवाद के बाद हर नए विवाद को रोकने के लिए यह कानून लाया जा रहा है. कानून में यह भी साफ तौर पर कहा गया कि पूजा स्थल की जो स्थिति 15 अगस्त 1947 को थी, वही रहेगी, ताकि देश में भाईचारे और शांति-सुरक्षा को कोई खतरा न हो, लेकिन अगर इसी तरह के फैसले आते रहे. तो डर है कि यह कानून पूरी तरह निरर्थक हो जायेगा और पूरा देश नए झगड़ों का केन्द्र बन जायेगा. 

उन्होंने आगे कहा कि बाबरी मस्जिद स्थल पर पुरातत्व विभाग द्वारा किए गए सर्वेक्षण में मंदिर के स्तंभों के निशान निकाल लिए गए थे. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतिम फैसले में यह साफ कर दिया कि बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को तोड़ कर नहीं बनाई गई थी. यहां जो कुछ छोटी-मोटी चीजें मिली थीं, वे भी बाबरी मस्जिद से चार सौ साल पहले की थीं.

बोर्ड के प्रवक्ता ने आगे कहा कि पहले के सर्वेक्षण में जलाशय के फव्वारे की पहचान शिव लिंग के रूप में की गई थी और वहां पहरा बैठा दिया गया था और वजू पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. उम्मीद है कि तथातथिक साइंटिफिक सर्वे के जरिए मस्जिद के नीचे कोई मेंदिर या उसके अवशेष निकल जाएं. और फिर नमाज पर पाबंदी लगा दी जाएगी.  निचली अदालत ने बार-बार कहा है कि उसका मकसद मस्जिद को नुकसान पहुंचाना नहीं है बल्कि यह जानना है कि मस्जिद के नीचे क्या है. सवाल उठता है कि इसकी जरूरत क्या है? बोर्ड को डर है कि इस फैसले से नए विवादों का रास्ता खुलेगा, भले ही इसे रोकने के लिए संसद ने कानून बनाया हो. क्या सुप्रीम कोर्ट कानून के इस अपमान को रोकेगा?

Read More
{}{}