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Reel Addiction: क्या आपको भी है रील्स देखने की बीमारी; ऐसे छुड़ाएं लत

Social Media Apps: सोशल मीडिया एप्स ने हर किसी को गुलामी की जंजीरों में जकड़ लिया है. इंस्टाग्राम रील्स को स्क्रॉल करने में लोग घंटों निकाल देते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रील्स देखना भी एक बीमारी बनता जा रहा है. जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर.

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Reel Addiction: क्या आपको भी है रील्स देखने की बीमारी; ऐसे छुड़ाएं लत
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Sabiha Shakil|Updated: Aug 11, 2023, 06:23 PM IST

Watch Reel Addiction: क्या आप भी अपने मोबाइल की स्क्रीन में वीडियो पर वीडियो और रील्स पर रील्स देखकर थक चुके हैं, लेकिन आदत से मजबूर हैं. आपको अपनी इस आदत को बदलने पर जल्द से जल्द काम करने की जरूरत है, क्योंकि साइंस की दुनिया में इसे एक बीमारी का नाम दिया जा चुका है. हावर्ड मेडिकल स्कूल की रिसर्च के मुताबिक, रील्स देखने और बनाने वाले लोग मास साइकोजेनिक इलनेस यानी MPI के मरीज हो सकते हैं.

क्या होती है  Mass Psychogenic illness 
हावर्ड मेडिकल स्कूल की एक रिसर्च के मुताबिक, जरुरत से ज्यादा वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्मस पर रहने वाले लोगों में मास साइकोजेनिक इलनेस के लक्षण नज़र आते हैं. ऐसे लोग अक्सर दूसरों के सामने बातचीत करते वक्त टांगे हिलाते रहते हैं. ये एक तरह का हाइपर एक्टिव रेस्पांस है और ये इस बीमारी का पहला लक्षण है. दूसरी परेशानी की बात करें तो ,आपने अक्सर देखा होगा कि ज्यादातर लोग किसी वीडियो को लंबे समय तक नहीं देख पाते और दो से तीन मिनट में एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे और चौथे वीडियो पर चले जाते हैं. लगातार ऐसा करते रहने से इंसान का दिमाग किसी भी चीज पर फोकस ना करने का आदी हो जाता है और बेचैन रहता है.  

डिप्रेशन का शिकार
सोशल मीडिया पर कुछ लोग दूसरों के ज्यादा फॉलोअर्स और अपनी पोस्ट पर कम कमेंट्स और लाइक्स आने से डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं. उनमें नींद की कमी, सिर दर्द और माइग्रेन जैसी कई बीमारियां पनपती हैं. हर कोई जानता है कि 6-7 इंच की स्क्रीन में तेज लाइट में देर तक रहने से लोगों में सिर दर्द और थकान की समस्या बढ़ रही है. माइग्रेन के मरीजों को तो डॉक्टर रोशनी से दूर रहने की सलाह देते हैं. मोबाइल की रोशनी भी उसमें शामिल है.  लगातार झुककर मोबाइल की स्क्रीन में देखते रहने से गर्दन और कमर का दर्द बढ़ जाता है. सोशल मीडिया इसके लिए सबसे ज्यादा ज़िम्मेदार है. गुजरात के अहमदाबाद की इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी में पिछले वर्ष रील्स देखने की आदत पर एक रिसर्च की गई. इस सर्वे में 540 लोगों को शामिल किया गया. जिनकी उम्र 18 से 36 साल के बीच थी. रिसर्च का मकसद ये जानना था कि लोग वीडियो पर इतना समय आखिर क्यों लगा रहे हैं. इस रिसर्च के मुताबिक रील्स बनाने से लोगों का मनोरंजन होता है और रील्स देखने वालों का भी अच्छा टाइम पास हो जाता है. रिसर्च में ऐसे लोगों की संख्या 855 फीसद तक पाई गई.

कैसे कम करें सोशल मीडिया का इस्तेमाल  
सोशल मीडिया का इस्तेमाल कम करने के लिए सबसे पहले आपको बिना काम की सारी एप्स के नोटिफिकेशन्स को बंद करना होगा. इसके अलावा कोई नया शौक यानी हॉबी शुरु करें. साथ ही साथ डिनर और लंच के समय फोन का इस्तेमाल बंद कर दें. दोस्तों और करीबियों से सोशल मीडिया पर नहीं बल्कि, फेस टू फेस मुलाकात करें.  

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