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स्वरा भास्कर ने बेटी को दिया ये ख़ास नाम; यूपी, बिहार और आंध्र प्रदेश से जोड़ा अपना ये ख़ास रिश्ता

एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने मु्स्लिम शख्स फहद अहमद से शादी की है. अब उन दोनों का एक बच्चा हुआ है. स्वरा ने इसका नाम राबिया रखा है. उन्होंने बताया है कि शादी के बाद उन्होंन साझा संस्कृति ढूंढी.

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स्वरा भास्कर ने बेटी को दिया ये ख़ास नाम; यूपी, बिहार और आंध्र प्रदेश से जोड़ा अपना ये ख़ास रिश्ता
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Siraj Mahi|Updated: Oct 02, 2023, 05:38 PM IST

अदाकारा स्वरा भास्कर ने पिछले महीने पति फहद अहमद के साथ अपने पहले बच्चे का स्वागत किया. नए माता-पिता ने हाल ही में अपनी बेटी के लिए एक खास 'छठी' छठी प्रोग्राम का आयोजन किया. अदाकारा ने इंस्टाग्राम पर तस्वीरें और वीडियो साझा किए और यह भी बताया कि बच्चे के छठे दिन प्रोग्राम कैसे मनाया जाता है. स्वरा ने अपनी बेटी, जिसका नाम उन्होंने राबिया रखा है, को 'मिश मैश' कहते हुए बताया कि कैसे उत्तर भारत में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच बहुत सी प्रथाएं एक तरह की हैं. 

 

स्वरा ने उत्सव का एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें परिवार के लोगों को बच्चे और माता-पिता को बुराई से बचाने के लिए काजल लगाते देखा जा सकता है. समारोह के दौरान स्वरा ने एक पारंपरिक लोक गीत भी गाया और उनके परिवार के लोगों ने उनका हौसला बढ़ाया. बच्चा हम जैसे मिश-मैश का ही एक मिश-मैश है. तो वह 62.5 प्रतिशत यूपी है. 12.5 फीसदी बिहार. 25 प्रतिशत आंध्र. और मैं कयादत के पक्ष में हूं और मैं हमेशा उत्सव के लिए यहां हूं! इसके अलावा, हमारी शादी के बाद से, सामान्य सांस्कृतिक प्रथाओं की खोज कर रहे हैं, जो उत्तर भारत में हिंदू और मुस्लिम दोनों करते हैं. ये मेरे यकीन को मजबूत करता है कि इंसान सभी तरह की विविधता से आ सकते हैं, लेकिन प्यार और खुशी की एक आम भाषा पाएंगे!

छठी के बारे में बताते हुए स्वरा ने लिखा कि “छठी या बच्चे के जन्म का छठा दिन पूरे यूपी-बिहार में मनाया जाता है, जहां मां और बच्चे को हल्दी के रंग के कपड़े पहनाए जाते हैं और मौसी/बुआ को कपड़े पहनाए जाते हैं. बच्चे और परिवार को 'नज़र' या बुरी नज़र से बचाने के लिए बच्चे और माँ और पिताजी को काजल लगाया जाता है."

स्वरा भास्कर ने यह भी बताया कि आमतौर पर एक लड़के के लिए गाना गाया जाता है, लेकिन उन्होंने इसे अपने छोटे बच्चे के लिए गाने का फैसला किया. "मैं एक लोकप्रिय 'सोहर' (नवजात शिशुओं के लिए उत्सव के गीत) गा रहा हूं. परंपरागत रूप से सोहर ज्यादातर नर नवजात शिशुओं का जश्न मनाते हैं, मैंने इसे एक नवजात लड़की के लिए तैयार किया है. ओह! माताएं सोहर नहीं गातीं, बहनें और चाचियां गाती हैं, लेकिन ढोलक आ गया है तो क्यों नहीं!”

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