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AR Rahman Birthday: परम्परा से हिन्दू दिल से मुसलमान AR Rahman; म्यूजिक में भारत को दिलाया ऑस्कर

A.R. Rahman turns 57: संगीत सम्राट एआर रहमान आज यानि शनिवार को अपना 57वां जन्मदिन मना रहे हैं. अपने तीन दशक से ज्यादा के लंबे करियर में एआर रहमान कई फिल्मों के लिए बेहद लाजवाब गाने बनाये.  वह छह राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, दो अकादमी पुरस्कार, दो ग्रैमी पुरस्कार, एक बाफ्टा पुरस्कार और एक गोल्डन ग्लोब पुरस्कार के विजेता रहें हैं. इतना ही नही 2010 में उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया.

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AR Rahman Birthday: परम्परा से हिन्दू दिल से मुसलमान AR Rahman; म्यूजिक में भारत को दिलाया ऑस्कर
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Shivani Thakur |Updated: Jan 06, 2024, 05:51 PM IST

A.R. Rahman turns 57: 'मद्रास के मोजार्ट' कहे जाने वाले ए.आर. रहमान, आज म्यूजिक प्रेमियों के दिलों में बसे हुए हैं. उनका संगीत न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में प्रशंसा और सम्मान हासिल करता आया  है. अपने तीन दशक लंबे करियर में उन्होंने हिंदी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, अंग्रेजी, फ़ारसी और मंदारिन में 145 से ज्यादा फिल्मों के लिए कई गानों में यादगार संगीत दिए हैं. इतना ही नही उन्होंने इंडियन सिनेमा को  म्यूजिक का एक नया नजरिया दीया है, और इसीलिए उन्हें 'इसाई पुयाल' यानि संगीत तूफान के नाम से भी जाना जाता है.आज के इस सो कॉल्ड म्यूजिक वाले दौर में संगीत के नाम पर तेज़ आवाज की जगह ए.आर.रहमान का म्यूजिक हमें म्यूजिक की एक अलग ही दुनिया में ले जाने का साहस रखता है.फिर चाहे वे 'कुन फाया कुन' जैसा सूफी गाना हो या अगर 'तुम साथ हो' जैसा इमोशनल गाना, रहमान के दिए संगीत दिल में एक अलग ही तार छेड़ते हैं. रहमान एक कनवर्टेड मुस्लिम हैं. रहमान और उनका परिवार इस्लामिक रिचुअल्स को फॉलो करने को लेकर अकसर खबरों में रहते हैं, हालांकि इसके साथ ही वो दक्षिण भारतीय परम्पराओं से जुड़े रहते हैं. 2008 में उन्हें  'स्लमडॉग मिलियनेयर' फिल्म से  'जय हो' नामक गीत में संगीत देने के लिए ऑस्कर अवार्ड से नवाज़ा जा चुका है. इस गीत सुखविंदर ने गाया था और गुलजार ने इसके बोल लिखे थे. आज की इस खबर में हम आपको रहमान के बनाये कुछ टाइमलेस क्लासिक्स के बारे में बतायंगे

1- 'रोजा' (1992)
रहमान को सफलता 1992 में मणिरत्नम द्वारा निर्देशित फिल्म 'रोजा' से मिली. मणिरत्नम और एआर रहमान ने पहली बार इस  फिल्म  में साथ काम किया था और फिल्म का संगीत देश भर में हिट रहा था. इस फिल्म के  गाने पहले तमिल में और बाद में हिंदी में सुपर हिट रहे.

2- बॉम्बे' (1995):
'बॉम्बे' फिल्म में एक बार फिर रहमान और मणिरत्नम की जोड़ी देखने को मिली जिसके बाद रहमान ने  इंडस्ट्री में अपनी स्थिति और मजबूत की.इस तमिल रोमांटिक फिल्म का सौलफुल गाना  'हम्मा हम्मा' और फीलिंग्स से भरपूर 'तू ही रे' सदाबहार क्लासिक्स बने हुए हैं.

3- 'रंगीला' (1995):
राम गोपाल वर्मा द्वारा निर्देशित मूल संगीत वाली रहमान की पहली हिंदी फिल्म 'रंगीला' रही जिसने  उनकी म्यूजिक मास्टरी को बेहद अच्छे ढंग से दर्शाया. उस फिल्म के  'तन्हा तन्हा' और 'है राम' जैसे ट्रैक आगे जाकर म्यूजिकल जेम्स बने और ने फिल्म को एक अलग ही पहचान दी.

4- 'दिल से' (1998):
दिल से फिल्म में एक बार फिर मणिरत्नम और रहमान  की जोड़ी क जादू देखने को मिलता है. मणिरत्नम द्वारा निर्देशित और शाहरुख खान और मनीषा कोइराला अभिनीत रोमांटिक थ्रिलर 'दिल से' के साउंडट्रैक में 'छैया छैया' और 'जिया जले' जैसे क्लासिक्स शामिल थे, जो फिल्म की प्रेम कहानी को दिखाते हैं. रिलीज़ होते ही ये गाने और ए.आर. रहमान पूरी दुनिया भर में लोगों के दिलों में कुछ इस तरह छा गये, की लोग आज भी उनकी धुन पर थिरकते हैं.

5-ताल' (1999):
ऐश्वर्या राय, अक्षय खन्ना और अनिल कपूर अभिनीत, 'ताल' ने रहमान और सुभाष घई के बीच एक सफल जुगलबंदी दिखी. इस फिल्म का टाइटल ट्रैक शीर्षक और 'इश्क बिना' ने भारतीय पारंपरिक ररिदम को समकालीन( contemporary) धुनों के साथ मिश्रित किया, जो तुरंत लोगों के पसंदीदा गाने बन गये.

6-लगान' (2001):
आशुतोष गोवारिकर द्वारा निर्देशित यह पीरियड ड्रामा, 'लगान' में अलग अलग तरह के विविध साउंडट्रैक शामिल है, जिसमें सबसे प्रेरक गान 'मितवा' और जश्न मनाने वाला 'चले चलो' भी शामिल है, जो  की बेहद ही उम्दा तरह से रहमान की बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाते हैं.

7- 'रंग दे बसंती' (2006):
अब हम बात अगर रहमान के तिमेलेस क्लासिक्स की कर रहे हैं तो हम रंग दे बसंती को कैसे भूल सकते हैं. 'रंग दे बसंती' का टाइटल  ट्रैक 'खलबली' युवाओं के साथ गहराई से जुड़ा और कई जन्रेशन के एक प्रेरित गाना बन गया. यह फिल्म उस समय के समकालीन स्वभाव के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों को संबोधित करती है.

8- 'रॉकस्टार' (2011):
इम्तियाज अली और रणबीर कपूर के साथ मिलकर, रहमान की 'रॉकस्टार' ने अलग अलग जोनर की खोज की. 'कुन फ़या कुन' और 'सद्दा हक' अपनी भावनात्मक गहराई और प्रयोगात्मक तत्वों के लिए सामने आए, जिन्होंने गाथागीतों( Balled), सूफी संगीत के माध्यम से एक जादुई संगीत यात्रा का निर्माण किया.

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