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Jitiya Vrat 2024: 24 या 25 जानें कब किया जाएगा जितिया व्रत, क्या है इस व्रत का महत्व

Jitiya Vrat 2024: हर साल जितिया का व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है. यह व्रत महिलाएं अपनी संतान के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए करती हैं.   

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Jitiya Vrat 2024: 24 या 25 जानें कब किया जाएगा जितिया व्रत, क्या है इस व्रत का महत्व
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Zee News Desk|Updated: Sep 22, 2024, 05:39 PM IST

Jitiya Vrat 2024: हिंदू धर्म में जीवित्पुत्रिका व्रत का विशेष महत्व होता है. इसे 'जितिया' और 'जिउतिया व्रत' भी कहा जाता है. यह व्रत महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखती हैं. 

कहां किया जाता है जितिया का व्रत
जितिया का व्रत ज्यादातर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश की महिलाएं ही रखती हैं. यह महिलाओं द्वारा व्यापक रूप से मनाया जाने वाला सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. ऐसे में इस व्रत का अपना एक खास महत्व होता है. 

पंचांग के अनुसार किस दिन रखा जाता है जितिया व्रत
हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया का निर्जला व्रत रखे जाने का विधान है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने बच्चों की अच्छे स्वास्थ्य और उनके बेहतर जीवन के लिए 24 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. 

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किस दिन किया जा जाता है पारण
तीन दिनों तक चलने वाले जितिया व्रत के शुभ दिन पर भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. इस दौरान व्रत रखने वाली महिलाएं पूरे दिन न तो भोजन करती हैं और न ही पानी पीती हैं. व्रत का समापन पारण के साथ किया जाता है. 

इस साल कब किया जाएगा जितिया का व्रत
हर साल की तरह इस साल 24 सितंबर मंगलवार को जितिया व्रत का नहाय खाय किया जाएगा, वहीं बुधवार 25 सितंबर को व्रत रखा जाएग और इसके अगले दिन गुरुवार यानी 26 सितंबर को पारण के साथ व्रत का समापन होगा. 

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उगते और डूबते सूर्य को दिया जाता है अर्घ्य 
जितिया के दिन भगवान विष्णु, शिव और सूर्य देव की पूजा की जाती है. इस दिन उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस व्रत में महिलाएं जीमूतवाहन भगवान की पूजा करती हैं. जीमूतवाहन की मूर्ति स्‍थापित कर पूजन सामग्री के साथ पूजा की जाती है. घर की महिलाएं मिट्टी और गाय के गोबर से चील और सियारिन की छोटी-छोटी मूर्तियां बनाती हैं. इसके बाद इन मूर्तियों के माथे पर सिंदूर का टीका लगाकर जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनती हैं.

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