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Holika Dahan Panchang: आज के पंचाग में जानें क्या है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त?

Holi dahan 2023 holi Panchang: हिंदू पचांग को वैदिक पंचांग भी कहा जाता है. पंचांग के माध्यम से ही काल व समय की गणना की जाती है. हिंदू कैलेंडर के हिसाब से एक माह में तीस तिथियां होती हैं, जो दो पक्षों में विभाजित होती हैं. ऐसे में यहां जानें आज 7 मार्च को होलिका दहन का पंचाग? 

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Holika Dahan Panchang: आज के पंचाग में जानें क्या है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त?
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Poonam |Updated: Mar 07, 2023, 09:11 AM IST

Aaj ka Panchang 7 March 2023: आज 7 मार्च को दिन मंगलवार है. आज का पंचाग बेहद खास है. आज शुक्ल पक्ष का अंतिम दिन यानी पूर्णिमा है. इसके साथ ही आज होलिका दहन भी है. आज के पंचाग में जानें होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है? 

आज की तिथि: पूर्णिमा 
आज का वार: मंगलवार
आज का पक्ष: शुक्ल
आज का करण: बव
आज का नक्षत्र: पूर्वा फाल्गुनी
आज का योग: धृति 
आज का त्योहार: होलिका दहन

दुष्ट मुहूर्त-               8:43 से 9:55 तक  रहेगा. 
कुलिक-                 1:27 से 2:25 तक रहेगा. 
कंटक-                   3:45 से 5:28 तक रहेगा. 
यमघण्ट-                 10:29 से 12:23 तक रहेगा. 
राहुकाल-                11:34 से 12:57 तक रहेगा. 
यमगंड-                  9:29 से 10:53 तक रहेगा.
गुलिक काल-           12:54 से 2:45 तक रहेगा. 

ये भी पढ़ें- Holi 2023: होली कब है? जानें होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, समय और पूजा विधि

यह है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
इस साल होलिका दहन 7 मार्च यानी आज किया जाना है. इसके लिए शुभ मुहूर्त 2 घंटे 34 मिनट रहेगा. आप शाम 6 बजकर 48 मिनट से रात 9 बजकर 10 मिनट होलिका दहन कर सकते हैं.  

क्या होता है पंचांग? 
सरल भाषा में कहा जाए तो पंचांग महीने की तीस तिथियों से और पांच अंगों से मिलकर बनता है, लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण होते हैं पांच अंग वार, योग, तिथि, नक्षत्र और करण. वैसे तो कैलेंडर के हिसाब से किसी महीने में 31 दिन होते हैं तो किसी महीने में 30, लेकिन अगर हम हिंदी कैलेंडर की बात करें तो इसके हिसाब हर माह में 30 दिन ही होते हैं, जिन्हें हम तिथि बोलते हैं. 

ये तिथियां दो पक्षों में विभाजित होती हैं. जो कि 15-15 दिन के होते हैं. इनमें से एक पक्ष को शुक्ल और एक पक्ष को कृष्ण कहा जाता है. हिंदू कैलेंडर के हिसाब से इन तिथियों को प्रतिप्रदा, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रियोदशी और एक पक्ष की आखिरी तिथि को अमावस्या और दूसरे पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहा जाता है. पंचांग इन्हीं सब के आधार पर पंचांग बनता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. जी न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता.)

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